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बिछड़ा परिवार, परिजनों का बुरा हाल

जहानाबाद/सोनवां : ‘बाबू हमर घर-बार उजड़ गेलो..बेटा-पतोहू के कोई हाल न मिलीत हो..अब केकरा देख के संतोष करीं..’ अपनों से बिछड़ने के दर्द को बयां करते हुए 70 वर्षीय वृद्ध बिरजू मिस्त्री की आंखें भर आयीं. दो बेटे और पोता-पोती समेत अपने 11 परिजनों की सलामती की आस लगाये बिरजू की कमजोर आंखों से आंसू […]

जहानाबाद/सोनवां : ‘बाबू हमर घर-बार उजड़ गेलो..बेटा-पतोहू के कोई हाल न मिलीत हो..अब केकरा देख के संतोष करीं..’ अपनों से बिछड़ने के दर्द को बयां करते हुए 70 वर्षीय वृद्ध बिरजू मिस्त्री की आंखें भर आयीं.
दो बेटे और पोता-पोती समेत अपने 11 परिजनों की सलामती की आस लगाये बिरजू की कमजोर आंखों से आंसू निकल पड़ी. नेपाल में आये भूकंप की असहनीय पीड़ा से जहानाबाद जिले का सोनवां गांव भी मर्माहत हो गया है.
गांव के बिरजू का परिवार त्रसदी के कारण काठमांडू के पखनाजोल थमेल इलाके में रहनेवाले अपने दो बेटों और उसके परिवार को लेकर गहरे सदमे में है. जलजले में लापता परिवार को खोजने की हर मुमकिन कोशिश करने के बावजूद बिरजू उनकी खैरियत नहीं जान पा रहा है. परिजनों का बुरा हाल है. पिछले तीन दिनों से उनकी खबर जानने के लिए चिंतित परिजनों की निगाहें समाचार पत्रों और टीवी पर टिकी हैं. बदहवास बिरजू और उसके परिवार के सदस्य न्यूज चैनलों पर नजर गड़ाये हुए हैं.
बड़ी संख्या में हुई मौतों ने उनकी चिंता और बढ़ा दी है. लोग बार-बार मोबाइल के जरिये संपर्क साधने में जुटे हैं. मंगलवार को सोनवां पहुंचे संवाददाता को अपनी व्यथा सुनाते हुए बिरजू मिस्त्री और उनकी पत्नी मुनारिक देवी का गला भर आया.
उन्होंने बताया कि करीब 20 साल पहले उनके दो बेटे राम प्रसाद शर्मा और उमेश शर्मा नेपाल जाकर बस गये थे. लकड़ी का व्यापार बढ़ने के बाद उनका परिवार भी वहीं चला गया. पारिवारिक सदस्य रवींद्र कुमार ने बताया कि विगत 20 अप्रैल को अपनी पत्नी रानी और तीन बच्चों के साथ यहां शादी समारोह में शरीक होने चले आये थे, बाकी लोग वहां अपने कामकाज में लगे थे.
परिजनों को ढूंढ़ने की प्रशासन से लगायी गुहार : परिजनों की गुमशुदगी से सहमे परिजन बताते हैं कि वे ईश्वर से अपने परिजनों की सकुशल घर वापसी की प्रार्थना कर रहे हैं. प्रशासन से अपने परिवार को ढूंढ़ने की गुहार लगाते हुए रवींद्र ने बताया कि सरकार दुख की इस घड़ी में उनकी हरसंभव मदद करे. उसका कहना है कि दादा-दादी का रोते-रोते बुरा हाल है.
गांव वाले किसी तरह ढाढ़स बंधा रहे हैं, लेकिन बूढ़े मां-बाप को अपने बेटे व पोते की फिक्र बेचैन किये हुए है. वे आगंतुकों से बार-बार अपने बच्चों को वापस लाने की गुहार लगा रहे हैं.

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