जहानाबाद (सदर) : जीतन राम मांझी सरकार के जनपक्षीय फैसले को रद्द करने समेत विभिन्न मांगों को लेकर भाकपा माले ने सोमवार को स्थानीय अरवल मोड़ के समीप मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पुतला फूंका. इससे पहले भाकपा माले के नेताओं ने शहीद भगत सिंह नगर स्थित पार्टी कार्यालय से प्रतिवाद मार्च निकाल कर विभिन्न मार्गो से होते हुए अरवल मोड़ पहुंच कर मुख्यमंत्री का पुतला फूंका.
पुतला दहन के उपरांत कार्यक्रम सभा में बदल गयी, जिसे संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने अपने शासन काल के अंतिम समय में कई जनपक्षीय फैसले लिये थे, जिसके तहत भूमिहीनों को पांच डिसमिल जमीन देने, वित्तरहित शिक्षकों को नियमित करने, होमगार्ड के वेतन में बढ़ोतरी, विकास मित्र और टोला सेवकों को 25 साल तक नौकरी तथा नियोजित शिक्षकों को वेतनमान देने समेत कई अन्य प्रमुख घोषणाएं शामिल थीं. इन मांगों को लेकर लंबे समय से संघर्ष चलाया जा रहा था, लेकिन जीतन राम मांझी के हटते ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रद्द कर दिया. नीतीश कुमार पिछले दस साल से राज्य के किसान, मजदूर व आम-अवाम को ठगने का काम किया है.
पुतला दहन कार्यक्रम को माले के जिला सचिव श्री निवास शर्मा, कुंती देवी, संतोष केसरी, प्रदीप कुमार, सत्येंद्र रविदास, दिनेश दास, शिवशंकर प्रसाद, हसनैन अंसारी, रामकृत मांझी समेत कई लोगों ने संबोधित किया. करपी (अरवल) संवाददाता के अनुसार मांझी सरकार के 34 योजनाओं को नीतीश सरकार द्वारा रद्द कर दिये जाने के खिलाफ भाकपा माले ने सोमवार को प्रखंड मुख्यालय स्थित जगदेव चौक के निकट नीतीश कुमार का पुतला दहन किया तथा विरोध दिवस मनाया. भाकपा माले के जिला सचिव महानंद ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि नीतीश सरकार केवल गरीबों की बात करती है. मांझी सरकार द्वारा गरीबों के हितों में लिये गये फैसले को नीतीश सरकार ने रद्द कर गरीब विरोधी एवं जन विरोधी कार्य किया है.
उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को गरीबों के लिए भूमि सुधार कानून, अमीर दास आयोग को लागू कराने तथा गरीबों के लिए संघर्ष करना चाहिए, लेकिन वे भाजपा जैसी पूंजीपतियों की पार्टी के साथ सहयोग लेने की बातें कर रहे हैं. उन्हें ऐसी ताकतों से बचना चाहिए. भाकपा माले के नेताओं ने कहा कि रसोइया, शिक्षक,आंगनबाड़ी एवं किसानों के हित में लिये गये फैसले को पुन: बहाल किया जाय. नीतीश सरकार द्वारा रद्द किये जाने से उनका असली चेहरा सबके सामने आ गया है. जदयू की यह सरकार सामंतवादियों की संरक्षक है. माले गरीबों के साथ अपमान के खिलाफ जनांदोलन चलायेगी. इसके पूर्व मुख्यालय स्थित कार्यालय से खेमस नेता उपेंद्र पासवान के नेतृत्व में जुलूस निकाला गया. इसके उपरांत पुतला दहन किया गया. इस कार्यक्रम में ज्ञानपति राम, देव मंदिर सिंह, सीता, सरयू सिंह शामिल थे.