जहानाबाद : अब नगर पर्षद शहर के सभी 33 वार्डों के मोहल्ले से निकलने वाले कूड़े-कचरे से एरोबिक कंपोस्ट (जैविक खाद ) तैयार करेगा. इससे स्वच्छता अभियान को तो मिलेगी. साथ-साथ जहां-तहां फेंके जाने वाले कचरे का भी ठोस प्रबंधन हो सकेगा. पटना के श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल में पांच और छह दिसंबर को संपन्न […]
जहानाबाद : अब नगर पर्षद शहर के सभी 33 वार्डों के मोहल्ले से निकलने वाले कूड़े-कचरे से एरोबिक कंपोस्ट (जैविक खाद ) तैयार करेगा. इससे स्वच्छता अभियान को तो मिलेगी. साथ-साथ जहां-तहां फेंके जाने वाले कचरे का भी ठोस प्रबंधन हो सकेगा. पटना के श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल में पांच और छह दिसंबर को संपन्न हुई उन्मुखीकरण कार्यशाला में मिली गाइडलाइन के बाद जहानाबाद में जैविक खाद बनाने की पहल शुरू की गयी है.
राज्यस्तरीय कार्यशाला में नगर विकास विभाग के पदाधिकारी के अलावा राज्य के विभिन्न जिलों के निकायों के पदाधिकारी और जनप्रतिनिधि शामिल हुए थे. जहानाबाद नगर पर्षद के कार्यपालक पदाधिकारी संजीव कुमार, मुख्य पार्षद पूनम देवी के अलावा उपमुख्य पार्षद मो कलामउद्दीन और सशक्त स्थायी समिति के सदस्य कार्यशाला में गये थे. वहां मुजफ्फरपुर नगर निगम के विकेंद्रीकृत कचरा प्रबंधन की विधि बतायी गयी थी और जैविक खाद बनाने पर जोर दिया गया था.
पटना में हुई कार्यशाला के बाद नगर पर्षद ने िलया िनर्णय
दिल्ली से बुलाया जायेगा एक्सपर्ट
उप मुख्य पार्षद और कार्यपालक पदाधिकारी ने बताया कि एरोबिक कंपोस्ट बनाने के लिए दिल्ली में कार्यरत बिहार के ही एक एक्सपर्ट से दो बार संपर्क साधा गया है और जहानाबाद आकर जैविक खाद तैयार करने की बात कही गयी है लेकिन इस कार्य के लिए जगह की कमी खल रही है. कार्यपालक पदाधिकारी ने बताया कि डंपिंग जोन बनाकर वहां कंपोस्ट निर्माण के लिए जगह की तलाश की जा रही है. इस सिलसिले में जिलाधिकारी से भी मार्गदर्शन मांगा जायेगा.
वार्डों में रखा जायेगा कूड़ादान
एरोबिक कंपोस्ट तैयार करने के लिए सभी वार्डों में हरे और नीले रंग के दो कूड़दान रखे जायेंगे. हरे में गीला और नीले में सूखा कचरा डालने की लोगों को नसीहत दी जायेगी. गीले कचरे से कंपोस्ट बनेगा जबकि सूखे कचरे से यथा रबर, प्लास्टिक, थर्मोकोल, सेरामिग, नारियल का छिलका, लकड़ी के सामान आदि कवाड़खाने में सफाईकर्मियों के द्वारा बिक्री करायी जायेगी.
कैसा बनता है एरोबिक कंपोस्ट
एरोबिक कंपोस्ट (जैविक खाद) तैयार करने के लिए समतल जमीन पर ईंटों के विशेष प्रकार का जालीदार ढांचा तैयार किया जाता है. उसमें गाय के गोबर का ही उपयोग होता है़ रसोई घर और बगीचे से निकलनेवाले गीले कचरे को उसमें डालकर और केमिकल मिलाकर 90 से 110 दिनों के भीतर अच्छी कंपोस्ट तैयार किया जाता है़ उसमें उर्वरा शक्ति पर्याप्त रहती है. इसका लाभ किसानों को होगा़ शहर की सफाई के साथ पर्षद कार्यालय की आय भी बढ़ेगी.