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इमाम हुसैन की याद में मनाया जाता है मुहर्रम

जमुई : हजरत-ए-इमाम हुसैन रजिअल्लाहो अनहो की शहादत की याद में मुहर्रम का त्योहार मनाया जाता है. इमाम-ए-हुसैन अपने खानदान के लोगों के साथ इस्लाम, इंसानियत और भाईचारा के वचाब के लिए करबला के मैदान में यजिदो से लड़ते-लड़ते शहीद हो गये. उन्होंने अपनी शहादत के पूर्व यह संदेश दिया कि इंसान किसी मजहब को […]

जमुई : हजरत-ए-इमाम हुसैन रजिअल्लाहो अनहो की शहादत की याद में मुहर्रम का त्योहार मनाया जाता है. इमाम-ए-हुसैन अपने खानदान के लोगों के साथ इस्लाम, इंसानियत और भाईचारा के वचाब के लिए करबला के मैदान में यजिदो से लड़ते-लड़ते शहीद हो गये.

उन्होंने अपनी शहादत के पूर्व यह संदेश दिया कि इंसान किसी मजहब को मानने वाला हो लेकिन उसका मजहब उसे शराब,बलात्कार एवं अन्य बुराईयों करने की इजाजत नहीं देता है. उक्त बातें की जानकारी मदरसा असरफिया मुख्तारूल उलूम महिसौड़ी के नाजिम मौलाना फारू क असरफी ने दी.

उन्होंने बताया कि यजिद इन तमाम बुराइयों में मशगूल रहता था. इसलिए उन्होंने यजीद के हाथों अपने आप को हवाले करने से मना कर दिया था. इसके बदले यजीद ने उन्हें हुकूमत देने और अन्य कई प्रकार के प्रलोभन दिये. लेकिन वे बुराई की राह को अपनाने को हरगिज तैयार नहीं हुए.

इमाम ए हुसैन और उनके परिवार के लोगों तथा औलाद पर यजीदों ने हमला कर दिया और यजीदों से लड़ते-लड़ते वे शहीद हो गये, लेकिन वे बुराई के आगे झूकने और बुराई के साथ समझौता करने को मौलाना फारूख असरफी ने बताया कि मुहर्रम के एक दिन पूर्व इमाम ए हुसैन की याद में छोटी तजिया निकाली जायेगी और मुहर्रम के दिन बड़ी तजिया निकाली जायेगी.

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