बड़ी मुश्किल से होती है घर का गुजारा, पर शौचालय निर्माण को दी प्राथमिकता
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ब्याज पर रुपये लेकर दिव्यांग ने बनाया शौचालय एक कदम स्वच्छता की ओर
बड़ी मुश्किल से होती है घर का गुजारा, पर शौचालय निर्माण को दी प्राथमिकता दिव्यांग पुत्र और विधवा मां ने प्रस्तुत की नजीर जमुई : जिले के खैरा प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत के गोपालपुर पंचायत अंतर्गत ढाब गांव के रहने वाले दिव्यांग रंजय कुमार सिंह स्वच्छता को लेकर उठाये गये कदम से नजीर बन गये हैं […]
दिव्यांग पुत्र और विधवा मां ने प्रस्तुत की नजीर
जमुई : जिले के खैरा प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत के गोपालपुर पंचायत अंतर्गत ढाब गांव के रहने वाले दिव्यांग रंजय कुमार सिंह स्वच्छता को लेकर उठाये गये कदम से नजीर बन गये हैं और लोग उसकी मिसाल देने लगे हैं. दरअसल आर्थिक रूप से कमजोर दिव्यांग रंजय ने प्रखंड को खुले में शौच से मुक्ति दिलाने के अभियान को बल प्रदान करने के लिए स्वच्छता को तरजीह दी और साहूकार से ब्याज पर पैसा उठा कर उन्होंने शौचालय बनवाया. अब उनके इस कदम की लोग सराहना कर रहे हैं तथा उन से सीख लेकर स्वच्छता अभियान में खुद को भी आत्मसमर्पित करने की बात कह रहे हैं. दरअसल खैरा प्रखंड क्षेत्र के अति नक्सल प्रभावित ढाब गांव के रहने वाले दिव्यांग रंजय कुमार सिंह अपने घर में अपनी विधवा मां और एक भाई के साथ रहते हैं.
रंजय की मां ने बताया कि दिव्यांग होने के कारण रंजय सामान्य तरीके से कोई भी काम कर अपना जीवन यापन करने में असमर्थ हैं तथा उनकी शिक्षा दीक्षा भी सही तरीके से नहीं हो सकी है. जिस वजह से उनके घर की माली हालत बहुत अच्छी नहीं है. उन्होंने बताया कि बमुश्किल से हमारे लिए दो जून की रोटी का प्रबंध हो पाता है. ऐसे में शौचालय बनवा पाना हमारे बस की बात नहीं थी. परंतु यह रंजय की जिद थी कि वह शौचालय का बनवायेगा, लेकिन पैसे की कमी शौचालय निर्माण में बड़ी बाधा थी. आखिरकार दिव्यांग रंजन ने भगवान का नाम ले साहस कर साहूकार से ब्याज पर रुपये उधार लेकर शौचालय बनवा ही दिया.
बचपन से ही दिव्यांग है संजय, करता है मजदूरी
बताते चलें कि संजय कुमार सामान्य लोगों की तरह बात कर पाने में असमर्थ हैं और वह बचपन से ही दिव्यांग हैं. ऐसे में उनकी शिक्षा-दीक्षा काफी बेहतर तरीके से नहीं हो सकी है. वह किसी तरह वह मेहनत मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण करते आ रहे हैं. ऐसे में शौचालय निर्माण के लिए राशि का प्रबंध करना वाकई में रंजय के लिए टेढ़ी खीर थी. परंतु उनके जज्बे ने आज उन्हें एक मिसाल बना दिया है.
एक माह बीता, अभी तक नहीं मिल पायी है प्रोत्साहन राशि
रंजय की मां बताती हैं कि हमने इस भरोसे पर शौचालय का निर्माण कराया था कि शौचालय बनने के बाद सरकार हमें प्रोत्साहन राशि देगी और हम उसी पैसे से अपना कर्ज उतार पायेंगे. परंतु शौचालय बनने से एक महीना गुजर गया, परंतु अभी तक हमें प्रोत्साहन राशि नहीं मिल सकी है. ऐसे में साहूकार का ब्याज बढ़ता जा रहा है और कर्ज की राशि बड़ी होती जा रही है. ऐसे में अब हम कर्ज कैसे चुका पायेंगे यह थोड़ा मुश्किल होता जा रहा है.
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