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नारियाना पुल में आयी दरार ने छीन लिया रोजगार

जमुई : जिला अंतर्गत चकाई-सोनो-खैरा-जमुई से होते हुए शेखपुरा जाने वाले मार्ग को चुनावों के दौरान स्टेट हाइवे से राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित किये जाने की घोषणा के बाद स्थानीय लोगों में खुशी व्याप्त था. लोगों की सोच थी कि इस मार्ग के राष्ट्रीय राजमार्ग बनने के बाद अब हमें रोजगार की तलाश में बाहर नहीं […]

जमुई : जिला अंतर्गत चकाई-सोनो-खैरा-जमुई से होते हुए शेखपुरा जाने वाले मार्ग को चुनावों के दौरान स्टेट हाइवे से राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित किये जाने की घोषणा के बाद स्थानीय लोगों में खुशी व्याप्त था. लोगों की सोच थी कि इस मार्ग के राष्ट्रीय राजमार्ग बनने के बाद अब हमें रोजगार की तलाश में बाहर नहीं जाना पड़ेगा,

लेकिन प्रशासनिक लापरवाही के कारण लोगों की खुशी काफी कम समय में हवा हो गयी. उक्त मार्ग पर स्थित नारियाना पुल में दरार पड़ जाने के कारण लोगों की उम्मीद पूर्ण रूप से धराशायी हो गयी. पुल के क्षतिग्रस्त होने से यातायात तो प्रभावित हुआ ही है, साथ ही पुल टूट जाने से उक्त मार्ग के किनारे जीविका तलाश रहे लोगों के समक्ष रोजगार की समस्या उत्पन्न हो गयी है. आलम यह है कि मार्ग के किनारे रोजगार के लिए स्थानीय लोगों द्वारा खोली गयी दुकानें अब वीरान हो गयी है.

इसके टूटते भवन उनकी पीड़ा को स्पष्ट बयां करते हैं. कभी ग्राहकों से गुलजार रहने वाले ये दुकान अब इंसान के दीदार को तरस रहे हैं. स्थिति इतनी विकट हो गयी है कि अब इन दुकानों की ओर कोई देखने भी नहीं जाता. बताते चलें कि खैरा-सोनो मार्ग से होकर बड़ी संख्या में बड़े वाहनों का परिचालन होता था, जिस कारण दिन-रात इन दुकानों पर चालकों और अन्य लोगों की भीड़ लगी रहती थी. जिससे यह दुकानदार अपनी रोजी रोटी कमा कर अपने परिवार का भरण पोषण किया करते थे. पुल के क्षतिग्रस्त हो जाने के बाद उक्त मार्ग से बड़े वाहनों का परिचालन पूरी तरह से ठप हो गया, जिसके बाद इन दुकानों में अब ग्राहकों की कमी रहने लगी है.

खंडहर में तब्दील हो रहा है ढाबा
नारियाना पुल मार्ग पर पुल के नजदीक बना ढाबा अब धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील होने लगा है. जबकि कभी यह इस मार्ग से आवागमन करने वाले चालकों का सबसे पसंदीदा स्थान हुआ करता था. दुकानों के बंद हो जाने के बाद लोग धीरे-धीरे अन्य रोजगार में लग गए हैं या पलायन कर रहे हैं. आवागमन बंद हो जाने से दर्जनों रोजी-रोटी चलाने वालों के समक्ष अब समस्याएं उत्पन्न हो गयी है.
बीते वर्ष पुल में आयी थी दरार
एनएच 333 ए पर स्थित नारियाना पुल का एक हिस्सा बीते वर्ष 2016 के अप्रैल महीने में धंस गया था. जिसके बाद से ही उक्त मार्ग से होकर भारी वाहनों का आवागमन बंद कर दिया गया है. क्षेत्र के लोग पुल में घटिया निर्माण सामग्री का इस्तेमाल करने व उचित रखरखाव नहीं होने को जिम्मेवार मान रहे हैं. पुल निर्माण के पांच वर्षों बाद ही इस पुल का पूर्वी भाग का 11वां पीलर धंस जाने से पुल के दो रेलिंग को भी क्षति हुआ है. पुल क्षतिग्रस्त होने के बाद से प्रशासन भारी वाहनों के आवागमन पर रोक लगाकर निश्चिंत हो गयी है. जिससे आमलोग में परेशानी है.
जमुई शहर पर बढ़ गया है वाहनों
का दबाव
नारियाना पुल पर बड़े वाहनों का प्रवेश बंद हो जाने के बाद से ही जमुई शहर की सड़क पर वाहनों का दबाव बढ़ गया है. साथ ही वाहन चालकों को 28 से 30 किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तय करना पड़ता है. शहर की सड़कों पर में बड़े वाहनों के परिचालन में वृद्धि होने से भी आमलोग परेशानी में है.
दुर्घटनाआें का जोन के रूप में जाना जाने लगा है नारियाना पुल
खैरा- वर्तमान में नारियाना पुल इस रोड का सबसे खतरनाक दुर्घटनाआें का जोन के रूप में जाना जाने लगा है. पुल क्षतिग्रस्त होने के बाद से प्रशासन के द्वारा दोनों ओर बेरियर लगवा दिया गया है, लेकिन जल्दी आवागमन करने के चक्कर में कई वाहन चालक इस पुल के आसपास दुर्घटना का शिकार हुआ है. इस साल कई लोग काल-कलवित हो गये. अबतक दर्जनों ऐसी घटनाएं घट चुकी हैं जिसमें बैरियर से टकराकर लोगों की मौत हुई है. पिछले एक साल के दौरान नारियाना पुल में अलग-अलग दुर्घटना में चार दर्जन से अधिक लोगों गंभीर रूप से जख्मी हो चुके हैं.
सड़क पर गिट्टी भी बन रहा खतरे का कारण
बताते चलें की पुल के एक हिस्से के क्षतिग्रस्त होने के बाद क्षतिग्रस्त स्थान पर वाहनों का दबाव न पड़े इसको ले कर विभाग ने क्षतिग्रस्त हिस्सा के दोनों ओर आधी सड़क पर गिट्टी का ढ़ेर और चारकोल भरे ड्रम से उस जगह की नाकेबंदी कर दिया गया. जिसके बाद बीतते समय के साथ धीरे-धीरे अलकतरा भरा ड्रम वहां से गायब होता चला गया परंतु सड़क पर रखा गिट्टी खतरे को आमंत्रण दे रहा है. बताते चलें कि उक्त गिट्टी से टकराकर बीते हफ्ते जमुई निवासी एक युवक की मौके पर ही मौत हो गयी. इसके अलावा कई और ऐसी दुर्घटनाएं भी उक्त पुल पर घटित हो चुका है जिसमें लोगों की जान चली गयी. परंतु अभी तक इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया जा सका है और न ही पुल निर्माण निगम और नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के द्वारा पुल निर्माण को लेकर कोई दिलचस्पी दिखाया जा रहा है. ऐसा माना जाने लगा है कि विभाग ने उक्त पुल निर्माण से अपना मुंह मोड़ लिया है.
विभाग ने किया था जल्द पुनर्निर्माण कराने की बात
पुल टूटने के बाद नेशनल हाइवे अथोरिटी ऑफ इंडिया की टीम ने पुल का निरीक्षण किया था, तथा पुल के ग्यारहवें पाये से जुड़े स्लैब में दो गार्डर, एक साइड गार्डर तथा एक मिडल गार्डर के क्षतिग्रस्त होने की बात कहा था. विभागीय अधिकारियों ने कहा था कि इस पुल को रेक्टिफाई किया जायेगा एवं इसे रिहैबिलिटेशन में डाला जायेगा. साथ ही पुल पुल के ग्यारहवें स्लैब का पुन निर्माण करने की बात कहा था. डेढ़ वर्ष से भी अधिक समय बीत जाने के बाद भी अभी तक पुल में निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका है.
रांची की कंपनी ने बनाया था पुल
नारियाना पुल का निर्माण बिहार राज्य पुल निर्माण निगम के द्वारा वर्ष 2011 में लगभग 14 करोड़ की लागत से करवाया गया था. जिसके निर्माण कार्य का जिम्मा रांची की एक कंस्ट्रक्शन कंपनी को दिया गया था. पुल निर्माण के बाद नदी पार के दर्जनों गांव के लोग सहित अन्य लोगों को भी इससे लाभ होने लगा. निर्माण कार्य में दोयम दर्जे की सामग्री का इस्तेमाल करने के कारण काफी कम समय में ही पुल की स्थिति चिंतनीय हो गयी है.

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