महज तीन साल की उम्र में रुद्र को एशिया व यूरोप महादेश के सभी देशों व उसकी राजधानी का नाम याद है
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छोटा कौटिल्य बनने की राह पर अग्रसर है खैरा का रुद्रप्रताप
महज तीन साल की उम्र में रुद्र को एशिया व यूरोप महादेश के सभी देशों व उसकी राजधानी का नाम याद है एक बार सुनकर याद करने में है महारथ हासिल खैरा : खायरा जिस उम्र में बच्चे अमूमन खेल कूद और मस्ती में मगन रहते हैं तथा जिस उम्र में बच्चे किताबी दुनिया से […]
एक बार सुनकर याद करने में है महारथ हासिल
खैरा : खायरा जिस उम्र में बच्चे अमूमन खेल कूद और मस्ती में मगन रहते हैं तथा जिस उम्र में बच्चे किताबी दुनिया से परे रहते हैं उस उम्र में खैरा निवासी एक बच्चा अपने गांव सहित आसपास के कई गांवों में चर्चा का केंद्र बना हुआ है. बने भी क्यों ना महज 3 साल और 4 महीने की उम्र में इस बालक ने जो कर दिखाया है उसे करने में बड़े बड़ों के पसीने छूट जाते हैं. यह बालक है खैरा थाने में पदस्थापित चौकीदार शांति यादव के छोटे पुत्र महेश यादव का बेटा रुद्र प्रताप यादव. अपने तीक्ष्ण बुद्धिमता, अलौकिक स्मरण शक्ति और अद्वितीय प्रतिभा के कारण अब यह बालक अपने आसपास के इलाकों में छोटा कौटिल्य के नाम से जाना जाने लगा है.
प्रतिभा ऐसी कि जिस उम्र में आम बच्चे अपना नाम तक नहीं बोल पाते, इसने भारत के सभी राज्य सहित एशिया व यूरोप के कई देशों के नाम उनकी राजधानी के साथ जुबानी याद कर रखा है. इसके अलावा सभी विभागों के मंत्री, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और राज्य मंत्रिपरिषद के सदस्यों के नाम भी इसे जुबानी याद है. इस बात का पता लगने पर जब प्रभात खबर संवाददाता इस बालक से मिलने उसके घर पहुंचे और उनसे कुछ सवाल किया तब रुद्र ने बिना वक्त गवांए सभी सवालों का जवाब इतनी सटीकता और तीव्रता से दिया जैसे मानो उसने बीते कई सालों से इस का प्रयास किया हो.
3 साल और 4 महीने की उम्र में यह बालक आज बड़े-बड़ों के लिए प्रेरणास्रोत बनकर उभरा है. एक गरीब परिवार में जन्मा बालक अपनी प्रतिभा के दम पर बच्चों का लोहा मनवा तो रहा है परंतु सरकारी उदासीनता और उच्च शिक्षा की व्यवस्था नहीं होने के कारण इस के प्रतिभा भी कुंठित हो रही है. उसके परिजनों को डर सता रहा है कि कहीं आर्थिक कमजोरी रुद्र की प्रतिभा में बाधक ना बन जाये.
रुद्र की प्रतिभा से नक्सल प्रभावित इलाके की बदलेगी पहचान
जमुई जिला अंतर्गत पड़ने वाला खैरा प्रखंड यूं तो नक्सल प्रभावित इलाका कहा जाता है, जहां प्रतिवर्ष कई नक्सली घटनाएं और वारदातों को अंजाम दिया जाता है. राज्यों के पैमाने पर खैरा को हमेशा से नक्सलवाद का गढ़ के रूप में देखा जाता रहा है. परंतु नक्सली थाना अंतर्गत पड़ने वाले इस गांव का यह बालक अब लोगों को अपना सिर ऊंचा और सीना चौड़ा कर चलने की आजादी दे रहा है. खैरा निवासी पंकज पासवान, गुड्डू रजक, पालो यादव सहित अन्य लोग बताते हैं कि जिस उम्र में बच्चे खेलने कूदने को ज्यादा तरजीह देते हैं. उस उम्र में ऐसे तो रुद्र भी आम बच्चों से कुछ ज्यादा अलग नहीं है, परंतु रूद्र की एक प्रतिभा है
कि वह एक बार जिस चीज को सुन लेता है वह उसे कंठाग्र कर लेता है. जिसके बाद आप दोबारा कभी उस बात का जिक्र कर उससे करेंगे तो वह आपको उसका सटीक जवाब दे देगा. उसकी प्रतिभा के चलते परिवार वाले अब उसे छोटा कौटिल्य के नाम से भी जानने लगे हैं. साथ ही परिजनों व ग्रामीणों ने सरकार से उसके शिक्षा की व्यवस्था को लेकर पहल करने की मांग की है. तथा जिलाधिकारी से यह मांग की है कि उसकी प्रतिभा को निखारने के लिए कोई सार्थक पहल किया जाए.
दादा हैं चौकीदार, तो रुद्र को है एसपी बनने की इच्छा
खैरा थाना में एक मामूली चौकीदार की नौकरी करने वाले शांति यादव भले ही अपनी आर्थिक कमजोरी के कारण अपने बेटों को ऊंची शिक्षा नहीं दे पाया.
पर इधर नन्हा रुद्रप्रताप पूछे जाने पर बताता है कि उसे आईपीएस करना है और एसपी बनना है. तथा देश की सेवा करनी है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि रुद्रप्रताप के सपनों को सीढ़ी कहां से मिलती है और सरकारी मदद की आस लगाए बैठे इस परिवार को सरकार की ओर से कहां तक समर्थन मिल पाता है. कहीं ऐसा ना हो कि सरकारी उदासीनता के कारण यह आलौकिक प्रतिभा बस एक गांव तक ही दब कर सीमित रह जाये.
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