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पशु 3 लाख, डॉक्टर एक…बहुत नाइंसाफी

पशु अस्पताल . इलाज के नाम पर औपचारिकता 22 अस्पताल का संचालन मात्र सात पशु चिकित्सक के भरोसे सरकारी आंकड़ों के अनुसार 10 लाख से अधिक पशु हैं जिले में पशु चिकित्सकों की कमी से किसान हो रहे परेशान समय पर नहीं लागू हो पाती है सरकार की योजना जमुई : कृषि प्रधान इस देश […]

पशु अस्पताल . इलाज के नाम पर औपचारिकता

22 अस्पताल का संचालन मात्र सात पशु चिकित्सक के भरोसे
सरकारी आंकड़ों के अनुसार 10 लाख से अधिक पशु हैं जिले में
पशु चिकित्सकों की कमी से किसान हो रहे परेशान
समय पर नहीं लागू हो पाती है सरकार
की योजना
जमुई : कृषि प्रधान इस देश की अर्थव्यवस्था का एक बहुत बड़ा स्तंभ होता है किसान व किसानों की अर्थव्यवस्था टिकी होती है पशुपालन पर. परंतु इन दिनों जिले के पशुपालक जिले में पशु चिकित्सकों के अभाव के कारण अपने मवेशियों का इलाज झोलाछाप डॉक्टरों से करवाने को विवश हैं. जिला पशुपालन कार्यालय चिकित्सकों की कमी के कारण अपनी बदहाली पर आंसू बहाने को विवश है. वर्तमान समय में 22 पशु अस्पताल का संचालन मात्र सात चिकित्सकों के भरोसे हो रहा है.
कर्मियों की मानें तो पशु चिकित्सकों के कमी के कारण ना तो समय पर टीकाकरण का कार्य हो पाता है व ना ही सरकार की किसी योजना का संचालन भी समय से हो पाता है. एक-एक चिकित्सक दो से तीन दिन पशु अस्पतालों के प्रभार में हैं. वहीं उन सात चिकित्सकों में से तीन प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी में प्रोन्नत हो गए हैं व एक वेटनरी सर्जन के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. जिससे केवल तीन चिकित्सक ही जिले में मुक्त रूप से अपनी सेवाएं दे रहे हैं. जिससे जिले के कुल 10 लाख पशुओं के एवज में तीन चिकित्सक ही बचते हैं. व एक चिकित्सक के ऊपर तीन लाख से भी अधिक पशुओं के स्वास्थ की जिम्मेवारी है.
कहां कौन चिकित्सक हैं कार्यरत
वर्तमान समय में अनुमंडलीय पशु चिकित्सालय में एक चिकित्सक डा विद्यानंद सिंह, प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सालय लक्ष्मीपुर में डा कृष्ण कुमार सिंह पदस्थापित हैं. जिनसे काला (लक्ष्मीपुर), सिकंदरा, भुल्लो (सिकंदरा) व महादेव सिमरिया (सिकंदरा) में भी कार्य लिया जाता है. प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सालय सोनो में डा सुबोध सक्सेना पदस्थापित हैं. जिनसे खैरा, मांगोबन्दर (खैरा), सोनो, पैरामटिहाना (सोनो), महेश्वरी (सोनो) में भी काम लिया जाता है. प्रथम वर्गीय पशुचिकित्सालय चकाई में डारामानुज प्रसाद पदस्थापित हैं. प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सालय झाझा, सिमुलतला, गगनपुर(चकाई) के लिए डा सतीश कुमार पदस्थापित हैं. प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सालय हरनारायनपुर (जमुई) व डिहरी (अलीगंज) के लिए डा प्रमोद कुमार, प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सालय बरहट, मलयपुर व धमनिया (चकाई) के लिए डा कुमार सचिन पशु चिकित्सक के रुप में कार्यरत हैं. चिकित्सकों की कमी के कारण पशुपालकों को अपने पशुओं का इलाज कराने में काफी कठिनाई होती है.जिला में अनुमंडलीय पशु चिकित्सालय सहित 22 प्रथम वर्गीय पशुचिकित्सालय संचालित हैं.
कहां-कहां हैं पशु अस्पताल
अनुमंडलीय पशु चिकित्सालय जमुई, अलीगंज, खैरा, सोनो, झाझा, चकाई, गगनपुर (चकाई), मलयपुर (बरहट), हरनारायणपुर (जमुई), लक्ष्मीपुर, डिहरी (अलीगंज), भुल्लो (सिकंदरा), महादेव सिमरिया(सिकंदरा) में प्रथम वर्गीय पशु अस्पताल कार्यरत हैं. इसके अलावे मांगोबंदर(खैरा), बरहट, काला (लक्ष्मीपुर), महेश्वरी व मटिहाना (सोनो), धमनियां (चकाई)व गिद्धौर में भी प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सालय कार्यरत है.
कहते हैं पदाधिकारी
कर्मियों के कमी की बाबत जिला पशुपालन पदाधिकारी डाअश्विनी कुमार सिंह बताते हैं कि चिकित्सकों की कमी रहने से है कार्य तो प्रभावित होता है. उपलब्ध संसाधन के आधार पर हमलोगों के द्वारा कार्य किया जाता है. इसे लेकर विभाग अवगत कराया गया है. विभाग से चिकित्सक व कर्मी की उपलब्धता होते ही कार्य सुचारू रूप से किया जा सकेगा.
अन्य पद भी हैं खाली
हालांकि जिले में पशु चिकित्सकों की भारी कमी तो है ही साथ ही पशुपालन विभाग में अन्य पद भी खाली पड़े हैं. जैसे जिला पशुपालन कार्यालय में 14 पशुधन सहायक का पद सृजित है जिसके एवज में केवल एक ही वर्तमान में कार्यरत हैं व 13 पद रिक्त हैं. वहीं पांच पशुधन पर्यवेक्षक के सृजित पदों के मुकाबले केवल एक ही वर्तमान में कार्यरत हैं. जिसके कारण चार पशुधन पर्यवेक्षक का पद भी खाली है. 11 डाटा एंट्री ऑपरेटर के सृजित पद के मुकाबले तीन डाटा एंट्री ऑपरेटर ही कार्यरत हैं. आठ डाटा एंट्री ऑपरेटर का पद खाली है. वहीं चपरासी व चौकीदार के भी दर्जनो पद खाली हैं.
क्या है विभाग का कार्य
पशुपालन विभाग के द्वारा समय-समय पर पशुओं को विभिन्न बीमारियों से बचाने के लिए टीका दिया जाता है. इसके अलावे कृत्रिम गर्भाधान भी कराया जाता है.
पशुओं की संख्या
वर्ष 2012 की पशुगणना के अनुसार जिले में 9 लाख 28 हजार 392 पशु हैं. पशुपालन विभाग की माने तो पशु गणना के आंकड़ों के अनुसार जिले में गौ प्रजाति के 4 लाख 62 हजार 617, भैंस 72 हजार 921, बकरी 3 लाख 51 हजार 584, भेड़ 10 हजार 489, सूअर 30 हजार 981, घोडा 132, पानी (एक प्रजाति का घोड़ा) 46, खच्चर 10 व कुत्ता 378 हैं. इसके अलावे 2 लाख 11 हजार 725 कुक्कुट हैं. परंतु इन सभी पशुओं की देखभाल की जिम्मेवारी केवल तीन लोगों पर है.
नहीं है तीन प्रखंडों में अपना भवन
यूं तो जिले भर में हालांकि पशु चिकित्सालय को।अपना भवन है. परंतु जिले के तीन प्रखंड खैरा, अलीगंज व गिद्धौर में अपना भवन नहीं है.

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