लोकतंत्र की जननी वैशाली की भूमि पर विधानसभा चुनाव की बिसात बिछने लगी है. माना जा रहा है कि इस जिले की सभी सीटों पर दिलचस्प मुकाबला होगा. पिछले विधानसभा चुनाव के जो समीकरण थे, वे अब बदल चुके हैं. इसी ने चुनावी संघर्ष को रोचक बना दिया है.
बीते दो विधानसभा चुनावों के पहले इस जिले की सीटों पर राजद को बढ़त मिल रही थी. पर जदयू-भाजपा गंठबंधन ने अपना दबदबा कायम कर लिया. इसकी बानगी यहां की राघोपुर सीट पर देखने को मिली, जब पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को पराजय का सामना करना पड़ा. अब सियासी तसवीर बदल गयी है.
हाजीपुर
2000 से भाजपा का कब्जा
इस सीट पर वर्ष 2000 से भाजपा का कब्जा है. नित्यानंद राय यहां से विधायक होते रहे. पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में वह भाजपा के टिकट से उजियारपुर से चुनाव लड़े और जीत गये.
उनके सांसद बनने से रिक्त हुई इस विधानसभा सीट पर पिछले साल उपचुनाव हुआ. इसमें भाजपा फिर विजयी हुई और अवधेश कुमार विधायक बने. 1995 के चुनाव में जद के राजेंद्र राय विजयी हुए थे. उसके बाद वह कभी राजद, तो कभी लोजपा- जदयू प्रत्याशी के रुप में पांच बार पराजित हो चुके हैं. फिलवक्त राजग में इस सीट को लेकर कोई विवाद नहीं है.
वर्तमान विधायक के ही यहां से फिर उम्मीदवार होने की संभावना है. जदयू से बागी हुए देव कुमार चौरसिया ने टिकट की शर्त पर घर वापसी की है. अशोक राय, विनोद कुमार राय, पूर्व विधान पार्षद विशुनदेव राय, कांग्रेस के जगन्नाथ प्रसाद राय समेत दर्जनों प्रत्याशी अपनी जोर अजमाइश में लगे हैं. भाकपा के अमृत गिरि भी वाम दालों के उम्मीदवार हो सकते हैं.
अब तक
चार बार भाजपा, एक बार जनता दल, दो बार कांग्रेस व एक-एक बार लोक दल जनता पार्टी के खाते में सीट रही.
इन दिनों
जदयू का हर घर दस्तक तथा भाजपा का महासंपर्क अभियान, वाम दलों का धरना-प्रदर्शन जारी.
प्रमुख मुद्दे
हाजीपुर को ग्रेटर पटना का हिस्सा बनाना
गांधी सेतु के पास वैकल्पिक एक नया पुल
केला फल आधारित खाद्य प्रसंस्करण यूनिट की स्थापना.
लालगंज
बनता-बिगड़ता रहा खेल
लालगंज विधानसभा सीट से 2010 के चुनाव में जदयू की अन्नु शुक्ला विजयी हुई थीं. वह पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला की पत्नी हैं. न्यायालय द्वारा पति को चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित किये जाने के बाद उन्हें यहां से प्रत्याशी बनाया गया था.
उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी राज कुमार साह को वोटों के बड़े अंतर से हराया था. साह इस बार राजद से टिकट पाने के लिए हाथ-पांव मार रहे हैं.टिकट नहीं मिलने पर उनके एक बार फिर निर्दलीय चुनाव लड़ने की संभावना है.
यहां से भाजपा के भी चुनाव लड़ने की संभावना है. पार्टी के जिलाध्यक्ष संजय कुमार सिंह इसके संभावित प्रत्याशी बताये जा रहे हैं. लोजपा के प्रमोद कुमार सिंह, भाजपा के बागी राजेश सिंह, कांग्रेस के भरत प्रसाद सिंह, ममिता राय, भाकपा के इंदु भूषण सिंह विनय सहित दो दर्जन प्रमुख चेहरे अपने -अपने तरह से चुनाव की तैयारी में लगे हैं.
अब तक
अब तक कांग्रेस जनता दल व जदयू का दो-दो बार प्रतिनिधित्व हुआ है, जबकि जनता पार्टी, लोजपा को एक-एक बार जीत मिली.
इन दिनों
जदयू हर घर दस्तक कार्यक्रम ेसे, तो भाजपा महासंपर्क से अपने कार्यकर्ताओं को सक्रिय बनाये हुए है.
वाम दलों का कोई विशेष प्रभाव नहीं है.
प्रमुख मुद्दे
लालगंज एवं भगवानपुर को अनुमंडल का दर्जा
हाजीपुर-सुगौली नयी रेललाइन को शीघ्र पूरा करना
महुआ
दिलचस्प होगा इस बार चुनाव
इस सीट पर पिछला चुनाव जदयू ने जीता था. इसके उम्मीदवार डॉ रवींद्र यादव यहां से विधायक बने थे, लेकिन राज्यसभा चुनाव के समय पार्टी-निर्देश के विपरीत मतदान करने के कारण असंबद्ध करार दिये गये. वह फिलवक्त ‘हम’ के साथ हैं.
पिछले चुनाव में उन्होंने राजद के जागेश्वर राय को भारी मतों के अंतर से हराया था. इस बार राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद के बड़े पुत्र तेज प्रताप यादव के यहां से चुनाव लड़ने की संभावना ने इस सीट को महत्वपूर्ण बना दिया है.
वैसे, राजद के जागेश्वर राय की दावेदारी अब भी बनी हुई है. एनडीए में भाजपा के विनोद यादव, रालोसपा के नागेश्वर राय एवं हम के रवींद्र यादव आदि प्रमुख दावेदार हैं. वाम दलों में भाकपा के विश्वनाथ विप्लवी एवं एसयूसीआइ के ललित घोष भी ताल ठोकने की तैयारी में हैं. मुख्य संघर्ष दोनों गंठबंधन के बीच होने की संभावना है.
टिकट पाने की उम्मीद रखने वाले विभिन्न दलों के नेता जनसंपर्क में लगे हुए हैं. वाम दलों के नेता व कार्यकर्ता स्थानीय समस्याओं को ले लगातार धरना -प्रदर्शन करने में जुटे हैं. देखना होगा कि इस क्षेत्र की जनता का झुकाव किसकी तरफ होता है.
अब तक
1977 में जनता पार्टी, 1980, 1985 व 2000 में क्रमश: जनता पार्टी, लोद व राजद तथा2005 में राजद व 2010 में जदयू के प्रत्याशी जीते.
इन दिनों
राजद से तेज प्रताप यादव की दावेदारी हैं, तो जदयू हर घर दस्तक कार्यक्रम से और भाजपा महासंपर्क के माध्यम से लोगों तक पहुंच रहे हैं.
प्रमुख मुद्दे
अनुमंडलीय न्यायालय की शीघ्र स्थापना
बिजली की स्थिति में सुधार
प्रस्तावित हाजीपुर-महुआ- पातेपुर समस्तीपुर रेलमार्ग का शीघ्र निर्माण
डिग्री और महिला कॉलेज की स्थापना
रोजगार तथा तकनीकी शिक्षा के साधन
कृषि उत्पादों के लिए बाजार व्यवस्था.
राघोपुर
लालू-राबड़ी के कारण चर्चित
राघोपुर विधानसभा सीट लालू प्रसाद और राबड़ी देवी को लेकर चर्चित है. हालांकि पिछले चुनाव में राबड़ी देवी को जदयू के सतीश कुमार ने मतों के भारी अंतर से हराया था. दोनों के बीच का चुनावी मुकाबला बेहद दिलचस्प था और वोटों का ध्रवीकरण इन्हीं दोनों के बीच हुआ था. 86.38 फीसदी वोट इन दोनों को मिले थे.
अन्य नौ प्रत्याशियों के बीच महज 13.62 फीसदी वोट पड़े थे. इस बार राजद और जदयू महागंठबंधन के घटक दल हैं. लिहाजा, दोनों में से किसी एक को ही यह सीट मिल सकती है.
वर्तमान विधायक सतीश कुमार का कद राबड़ी देवी को हराने के कारण काफी बढ़ा है, लेकिन इस बार लालू प्रसाद के बेटे तेजस्वी यादव के यहां से चुनाव लड़ने की संभावना जतायी जा रही है. राजग की ओर से भाजपा के कई दावेदारों के नाम आ रहे हैं. लोजपा के वृजनाथी सिंह, प्रमोद सिंह आदि भी अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं.
अब तक
1977 व 80 में जपा, 85 में लोद, 1990 में जद, 2000 राजद के लालू प्र, 05 में राबड़ी देवी, 2010 में जदयू के सतीश कु जीते.
प्रमुख मुद्दे
गंगा नदी पर पक्का पुल से राघोपुर-पटना को जोड़ना
हाजीपुर को सीधे पुल के माध्यम से जोड़ने की मांग
पुरानी सड़के चलने लायक नहीं, नई बनीं टूट रही हैं.
महनार
गंगा से कटाव का है दर्द
महनार सीट पर अभी भाजपा का कब्जा है. इसके डॉ अच्यूतानंद सिंह ने लोजपा के राम किशोर सिंह को बहुत कम वोटों के अंतर से हराया था. इस सीट से राजद के पूर्व मंत्री मुंशी लाल राय ने कई बार चुनाव जीता था, लेकिन पिछली बार गंटबंधन के तहत यह सीट लोजना को मिली थी.
ऐसा ही उलट-फेर भाजपा में भी हुआ था. चुनाव से ठीक पहले लोजपा छोड़कर भाजपा में शामिल हुए डॉ अच्युतानंद सिंह को पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया.
तब मुंशीलाल राय ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था और अपने दम पर 17.53 फीसदी वोट ला कर तीसरा स्थान पाया था. इस बार फिर एनडीए से डॉ अच्यूतानंद के चुनाव लड़ने की संभावना है. राजद से उद्योगपति रवींद्र कुमार सिंह, जदयू से उमेश कुशवाहा और कांग्रेस से महेश प्रसाद राय आदि प्रमुख दावेदार हैं. महागंठबंधन में यह सीट किस दल को मिलती है, इस पर ही इनका भविष्य
टिका है.
अब तक
1977 में जपा, 90 में एसओपी,80 में जेपी एस, 85 में लोद , 95 में जद 2000 व 05 में लोजपा, 2010 में भाजपा की जीत.
प्रमुख मुद्दे
अनुमंडल कार्यालय एवं अनुमंडलीय न्यायालय का निर्माण
गंगा के कटाव पीड़ितों का पुनर्वास
चौबीस घंटे बिजली की आपूर्ति
बनीं टूट रही हैं.
राजापाकर (अजा)
जल निकासी की समस्या
गत विधानसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री रामसुंदर दास के पुत्र संजय कुमार इस क्षेत्र से जदयू के विधायक चुने गये थे. नया विधानसभा क्षेत्र बनने के बाद हुए पहले चुनाव में ही इस क्षेत्र से लोजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा था.
तब उसका राजद के साथ गंठबंधन था. लोजपा ने गौरी शंकर पासवान को उम्मीदवार बनाया था. वे संजय कुमार से भारी मतों के अंतर से हार गये थे. संजय कुमार फिलवक्त राज्यसभा चुनाव के दौरान पार्टी निर्देश नहीं मानने के कारण दल से असंबद्ध हैं. इससे इस बार जदयू से उनकी उम्मीदवारी पर संदेह है.
लोजपा से पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस के स्वयं या कर्मचारी नेता घनश्याम कुमार दाहा के उम्मीदवार होने की संभावना जतायी जा रही है. भाजपा गठबंधन की ओर से यह सीट लोजपा कोटे में जाने की चर्चा आम है. वैसे भाजपा से दशई चौधरी,जय प्रकाश चौधरी आदि टिकट को लेकर अपनी दावेदारी पेश कर सकते हैं. देखना होगा कि एनडीए में यह सीट किसे मिलती है. वामदलों की ओर से माकपा के रामजी राम या रामा शंकर भारती उम्मीदवार हो सकते हैं
अब तक
जदयू के टिकट से विधायक बने संजय कुमार पार्टी से असंबद्ध हैं. लोजपा से पशुपति कुमार पारस का भी नाम आ रहा है.
इन दिनों
राजद व वाम दल जन मुद्दों व केंद्र की नीतियों के खिलाफ जनसंपर्क कर रहे हैं. जदयू का हर घर दस्तक व भाजपा का महासंपर्क जारी.
प्रमुख मुद्दे
– राजापाकर को महुआ एवं हाजीपुर से जोड़ने वाली सड़क का चौड़ीकरण
– क्षेत्र के सभी गांवों में सड़क और बिजली की समुचित व्यवस्था
– राजापाकर में डिग्री कॉलेज की स्थापना
– रेफरल अस्पताल की स्थापना
– रोजगार के साधन और तकनीकी शिक्षण संस्थानों की स्थापना.
– सिंचाई की सुविधा तथा कृषि उपज के लिए बाजार की व्यवस्था.
वैशाली
दिग्गजों ने दल बदला
इस सीट से जदयू के उम्मीदवार के रूप में पूर्व मंत्री वृशिण पटेल लगातार दो बार से विजयी होते रहे हैं. 1995 एवं 2000 के विधानसभा चुनाव छोड़ कर वह 1980 से यहां के विधायक रहे हैं. 1995 में जद के राज किशोर सिन्हा और 2000 में कांग्रेस की वीणा शाही ने उन्हें हराया था.
पिछले चुनाव में उन्होंने राजद की वीणा शाही को वोटों के बड़े अंतर से हराया था. इस बार दोनों ने दल बदल लिया है और एक ही गंठबंधन में शामिल हैं. वीणा शाही अब भाजपा में और पटेल हम में हैं.
हम भाजपा गंठबंधन का हिस्सा है. लिहाजा यह देखना रोचक होगा कि भाजपा यह सीट अपने पास रख कर शाही को अपना उम्मीदवार बनाती है या हम के खाते में सीट छोड़ती है. दूसरी ओर जदयू से टिकट के प्रबल दावेदारों में पटेल के भतीजे सिद्धार्थ पटेल का भी नाम लिया जा रहा है. युवा राजद के जिलाध्यक्ष संजय पटेल इस टिकट का दावा कर रहे हैं.
अब तक
यहां 1977 से अब तक जदयू और जद का दो-दो बार व जनता पार्टी, जनता पार्टी-एस व लोद का एक-एक बार कब्जा रहा.
इन दिनों
घर -घर दस्तक कार्यक्रम के तहत जदयू एवं महासंपर्क कार्यक्रम के तहत भाजपा कार्यकर्ता गांव-गांव घूम रहे हैं.
प्रमुख मुद्दे
– पर्यटन केंद्र के रुप में वैशाली का विकसित
– वर्षो से बंद पड़े गोरौल चीनी मिल को चालू कराना.
पातेपुर (अजा)
बाढ़ की तबाही ङोलते लोग
पातेपुर सीट पर फिलवक्त भाजपा का कब्जा है. इसके महेंद्र बैठा ने राजद के प्रेमा चौधरी को भारी मतों के अंतर से हराया था. हालांकि चुनाव के ठीक पहले यहां बड़ा उलट-फेर हुआ था. चुनावी गंठबंधन के तहत लोजपा ने यह सीट राजद को दे दी थी.तब महेंद्र बैठा लोजपा के जिलाध्यक्ष एवं संभावित प्रत्याशी थे.
राजद को सीट दिये जाने से वह नाराज हुए और पाला बदल कर भाजपा में शामिल हो गये. भाजपा ने उन्हें चुनाव लड़ाया और उन्हें शानदार जीत मिली. लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को इस विधानसभा क्षेत्र में भारी बढ़त मिली थी.
इस बार भी भाजपा से बैठा और राजद से श्रीमती चौधरी के चुनाव लड़ने की संभावना है. महागंठबंधन के घटक दल कांग्रेस एवं जदयू के कई उम्मीदवार टिकट के लिए लाइन में हैं. वाम दलों की ओर से माकपा के पुण्यकाल पासवान और माले की शीला देवी के नामों की चर्चा है.
अब तक
1977 में जपा, 80 में कांग्रेस , 90 व 95 में जद, 2000 व 05 में राजद, जनवरी 2005 में लोजपा व 2010 में भाजपा की जीते.
इन दिनों
वामदलों, राजद और भाजपा संपर्क कार्यक्रम चल रहा है. जदयू हर घर दस्तक कार्यक्रम चला रहा है.
प्रमुख मुद्दे
नून व वाया नदी की बाढ़ से बचाव का समुचित इंतजाम
बरैला झील का पर्यटकीय विकास करना
पुरानी सड़के चलने लायक नहीं, नई बनीं टूट रही हैं.