गोपालगंज : पति की हत्या की चश्मदीद आशा ने अपने पति की हत्यारों को सजा दिलाने के लिए विधवा बन कर रहना पसंद किया. पति और भाइयों के खिलाफ चार वर्षों से लगातार संघर्ष करते हुए अंतत: उसे मंगलवार को न्याय मिला. कोर्ट से अपने पिता और भाइयों को फांसी की सजा देने की अपील आशा ने की थी. जब कोर्ट का फैसला आया तो आशा की आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहा था. आशा अपने साहस के बदौलत सजा दिलाने में सफलता पायी है. इस दौरान आशा को अपने ही भाई और परिजनों से कई बार धमकी भी मिली.
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पति के हत्यारे पिता और भाइयों को दिलायी सजा
गोपालगंज : पति की हत्या की चश्मदीद आशा ने अपने पति की हत्यारों को सजा दिलाने के लिए विधवा बन कर रहना पसंद किया. पति और भाइयों के खिलाफ चार वर्षों से लगातार संघर्ष करते हुए अंतत: उसे मंगलवार को न्याय मिला. कोर्ट से अपने पिता और भाइयों को फांसी की सजा देने की अपील […]
हत्यारे पिता पर एक लाख का जुर्माना : एडीजे आठ के कोर्ट में जब सुनवाई शुरू हुई,
तो अपर लोक अभियोजक रमनचंद्र मिश्र ने बेहद क्रूरतापूर्ण बताते हुए साक्ष्य प्रस्तुत किया, जबकि बचाव पक्ष के अधिवक्ता अब्बू शमीम की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने इसे जघन्य अपराध की संज्ञा देते हुए आशा के पिता ललन यादव पर एक लाख का जुर्माना लगाया. इस कांड में ललन यादव,भाई किसान यादव, विजय यादव, पड़ोसी वकील यादव, भोला यादव, सरल यादव, रामजी यादव, साधु यादव, ध्रुव यादव, बैजनाथ यादव, सत्यनारायण यादव, लक्ष्मण यादव, सुखल यादव, देवता यादव तथा रामाधार यादव को दोषी पाते हुए उम्रकैद की सजा सुनायी गयी .
डोमाहाता गांव के ललन यादव की बेटी आशा को उसी गांव के रहनेवाले दयानंद यादव के साथ वर्ष 2006 में ही लव हुआ था. 2007 में आशा और दयानंद ने भाग कर शादी कर ली थी. शादी के कुछ दिनों बाद जब माहौल शांत हुआ, तो गांव पर आकर रहने लगे. आशा को थोड़ी-सी भी आशंका नहीं थी कि उसके परिवार के लोग उसके सुहाग को उजाड़ देंगे.
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