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5 वर्ष में 119 करोड़ खर्च, फिर भी नहीं बचे गांव

आपदा . गंडक के कटाव से एक दर्जन गांव नक्शे से गायब, प्रति वर्ष 15 करोड़ खर्च के बाद भी खतरे में है जान गंडक के बाढ़ से बचाव के लिए सरकार ने लगभग 15 करोड़ रुपये पिछले पांच वर्षों से प्रति वर्ष खर्च हो रहा है. राशि खर्च होने के बाद भी गंडक नदी […]

आपदा . गंडक के कटाव से एक दर्जन गांव नक्शे से गायब, प्रति वर्ष 15 करोड़ खर्च के बाद भी खतरे में है जान

गंडक के बाढ़ से बचाव के लिए सरकार ने लगभग 15 करोड़ रुपये पिछले पांच वर्षों से प्रति वर्ष खर्च हो रहा है. राशि खर्च होने के बाद भी गंडक नदी के दियारे के लोगों की जान पर खतरा बना रहता है.
गोपालगंज : गंडक नदी के कहर से बचाव की मुहिम में सरकारी पैसा पानी में बह गया. कटाव से एक दर्जन गांव नक्शे से गायब हो गये हैं. लगभग दो हजार परिवार फुटपाथ की जिंदगी बिता रहे हैं. जिला प्रशासन इनके पुनर्वास के लिए प्रयासरत है. गंडक नदी की धारा हर साल तबाही मचा रही है. इस तबाही को रोकने में बाढ़ नियंत्रण विभाग विफल रहा है. ग्रामीणों की मानें, तो गांव में कटाव होने लगता है, तो इसे रोकने के लिए इंतजाम नहीं किया जाता है.
जब गांव का अस्तित्व समाप्त होने लगता है, तब अधिकारी पहुंचते हैं. नदी की धारा को रोकने के नाम पर लाखों रुपये खर्च हो जाते हैं. कालामटिहनिया तथा विशंभरपुर में कटाव पांच सितंबर से शुरू हुआ. जब तबाही शुरू हो गयी, तो किसान भवन पर कटाव शुरू हुआ. इसके बाद 25 सितंबर से बचाव कार्य शुरू हुआ. पिछले वर्ष भी खाप मकसूदपुर में ग्रामीणों के हंगामे के बाद बचाव कार्य शुरू किया गया था.
कटाव से इन गांवों का मिटा अस्तित्व : कुचायकोट प्रखंड के कालामटिहनिया की अहिर टोली, यादव टोली, हजामटोली, दलित बस्ती समेत सात अलग-अलग टोला व गांव, विशंभरपुर के दो टोले, सदर प्रखंड के खाप मकसूदपुर, कठघरवा, बकुआटोला, मेहंदिया. मकसूदपुर के विभिन्न टोला और गांव का अस्तित्व मिटने के बाद आज नदी की धार बह रही है.
समय पर कटावरोधी कार्य नहीं होने से कटते गये गांव
कालामटिहनिया में गंडक नदी की धारा को रोकते मजदूर.
पांच वर्षों में हुए खर्च
वर्ष खर्च राशि करोड़ में
2011-12 62.31
2012-13 15.53
2013-14 15.54
2014-15 8.74
2015-16 17.86
तटबंधों को सुरक्षित रखने में कामयाबी
प्रकृत को रोकना मुश्किल होता है. बाढ़ नियंत्रण विभाग प्रकृत को रोकने का काम कर रहा है. प्रयास की बदौलत तटबंधों को सुरक्षित रखने में कामयाबी मिली है.
शरद कुमार, कार्यपालक अभियंता

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