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सराहनीय परवल से 80 लाख व लतर से आठ करोड़ का व्यवसाय

गोपालगंज : सिधवलिया प्रखंड के एनएच 28 स्थित महम्मदपुर चौक की बगल में अवस्थित है कुशहर गांव. खेतों में यहां कुछ मजदूर परवल का लतर (लता) काटने में लगे हैं. यहां कई खरीदार खड़े हैं. पूछने पर कोई बक्सर का बता रहा है, तो कोई आरा और गाजीपुर का. बक्सर के व्यापारी राजेश कुमार कहते […]

गोपालगंज : सिधवलिया प्रखंड के एनएच 28 स्थित महम्मदपुर चौक की बगल में अवस्थित है कुशहर गांव. खेतों में यहां कुछ मजदूर परवल का लतर (लता) काटने में लगे हैं. यहां कई खरीदार खड़े हैं. पूछने पर कोई बक्सर का बता रहा है, तो कोई आरा और गाजीपुर का. बक्सर के व्यापारी राजेश कुमार कहते हैं कि प्रतिवर्ष 40 से 50 लाख का लतर खरीद कर ले जाते हैं. प्रतिदिन 60 से 70 लाख का कारोबार हो रहा है. पिकअप वैन से लतर भेजा जा रहा है.

परवल की खेती बनी ग्रीन गोल्ड : परवल की खेती इस इलाके के किसानों के लिए ग्रीन गोल्ड बन गयी है. आमदनी से किसान अपनी जिंदगी संवार रहे हैं. सालों भर खेत से ये परवल तो बेचते ही हैं, अंत में मोटी रकम में उसका लतर भी बेच देते हैं. इस क्षेत्र में प्रतिवर्ष 80 लाख का जहां परवल बिकता है, वहीं आठ करोड़ से अधिक का लतर बिक जाता है.
15 सौ से दो हजार रुपये पूला बिकता है लतर : जिउतिया से लतर बिकना शुरू हो जाता है. यह दशहरा के पांच से छह दिन बाद तक चलता है. इन 20 दिनों में आठ करोड़ से अधिक का व्यवसाय होता है. व्यापारी मकसुदन बताते हैं कि एक नंबर सातधरिया, दो नंबर आठधरिया तथा तीन नंबर नौधरिया परवल की प्रजाति है. इसकी कीमत 15 सौ से दो हजार रुपये पूला है.
वहीं, पकड़ी के किसान सीताराम पांडेय बताते हैं कि इस बार उन्होंने 14 कट्ठे में परवल की खेती की थी, उनका लतर एक लाख 72 हजार में बिका है. 15 दिनों तक सभी गांव के लतर बिक जाते हैं.
आरा-बक्सर से आते हैं व्यापारी : सिधवलिया प्रखंड के परवल उत्पादित इन गांवों में आरा, बक्सर, रोहतास, जगदीलपुर, जंवहीं, गाजीपुर, सिताब दियारा और सोनपुर से व्यापारी आते हैं. यह धंधा विगत डेढ़ दशक से जारी है.
परवल के खेत में लतर काटते मजदूर और व्यापारी.
एक नजर में खेती
गांव – 6
खेती का रकबा- लगभग एक हजार बीघा
आय परवल से- 80 से 85 लाख प्रतिवर्ष
लतर से- 8 करोड़ से अधिक प्रतिवर्ष
कार्यरत किसान- चार हजार लगभग
कार्यरत मजदूर- 10 हजार लगभग
प्रतिवर्ष आनेवाले व्यापारियों की संख्या- 5 सौ लगभग

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