भोरे : एनएचपीसी के अभियंताओं का वर्ष 2003 में वैशाली से अपहरण कर ऋषिमुनि तिवारी गैंग ने बिहार में इंट्री मारी थी. एनएचपीसी के महाप्रबंधक टी मंडल एवं मुख्य अभियंता केके सिंह का अपहरण सरकार के लिए चुनौती बन गया था. करोड़ों की फिरौती लेने के बाद अभियंताओं को रिहा किया गया था. अब ऋषिमुनि ने यूपी के आजमगढ़ ट्रेजरी के अपर निदेशक से पांच करोड़ की रंगदारी मांग कर पुलिस की बेचैनी बढ़ा दी है.
मामले की जांच में जुटी यूपी पुलिस एक – एक कदम फूंक-फूंक कर रख रही है. बिहार पुलिस से रिकॉर्ड मांगे जाने के बाद पुलिस इस गुत्थी को सुलझाने के लिए अब हैंड राइटिंग एक्सपर्ट का सहारा लेगी. इसके लिए बकायदा तैयारी की जा रही है. वहीं, ऋषिमुनि तिवारी गैंग के सिर उठाने के खुलासे के बाद पुलिस की बेचैनी एक बार फिर बढ़ गयी है. बता दें कि यूपी के आजमगढ़ जिले में कोषागार में अपर निदेशक के पद पर तैनात रामानंद पासवान के कारिंदे श्रीराम को अपराधियों ने मडुआडीह में उस समय गोली मार दी थी, जब अपराधियों द्वारा रामानंद पासवान का पीछा किये जाने का श्रीराम ने विरोध किया था. उस समय यह मामला संपत्ति विवाद का बताया गया था. लेकिन, इस घटना के ठीक एक माह बाद रामानंद पासवान के पास ऋषिमुनि तिवारी के फोन के बाद एक धमकी भरा पत्र भी आया, जिसमें ऋषिमुनि तिवारी ने पांच करोड़ की रंगदारी मांगी थी.
इस मामले के खुलासे के बाद बिहार के सीवान से फरार हुए ऋषिमुनि तिवारी के बारे में यूपी पुलिस ने बिहार पुलिस से पूरी जानकारी मांगी. इधर, पुलिस के हाथ लगे ऋषिमुनि तिवारी के पत्र की लिखावट की जांच करने के लिए देवरिया के बीआरडीपीजी कॉलेज से संपर्क किया गया है. मालूम हो कि इसी कॉलेज से ऋषिमुनि तिवारी ने अपनी पढ़ाई पूरी की थी. ऋषिमुनि ने एक बार और यूपी पुलिस की बेचैनी बढ़ा दी थी, जब उसने रंगदारी को लेकर गोरखपुर के प्रसिद्ध डॉक्टर सीबी मधेशिया और पेपर मिल के मालिक कर्ण सिंह का अपहरण कर लिया था. फिलहाल इस पूरे प्रकरण को लेकर पुलिस काफी सतर्कता के साथ आगे बढ़ रही है.