खुलासा . 1160 शौचालय टूटे और 1655 का नहीं किया जाता इस्तेमाल
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91 % घरों में नहीं बना शौचालय
खुलासा . 1160 शौचालय टूटे और 1655 का नहीं किया जाता इस्तेमाल सफाई और स्वच्छता, स्वस्थ जीवन की जननी है. गांव, देहात, मुहल्ले और समाज स्वच्छ रहेगा, तो स्वस्थ समाज का सपना भी साकार होगा. लेकिन, न माकूल सफाई है और न ही स्वच्छ शौचालय. करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाने के बावजूद लगभग 91 […]
सफाई और स्वच्छता, स्वस्थ जीवन की जननी है. गांव, देहात, मुहल्ले और समाज स्वच्छ रहेगा, तो स्वस्थ समाज का सपना भी साकार होगा. लेकिन, न माकूल सफाई है और न ही स्वच्छ शौचालय. करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाने के बावजूद लगभग 91 फीसदी घरों में शौचालय नहीं बना है.
गोपालगंज : प्रधानमंत्री के स्वच्छता अभियान के सपने को साकार करने के लिए हर घर में शौचालय बनाने के लिए अनुदान दिया जा रहा है. एक शौचालय बनाने पर 12 हजार रुपये का अनुदान है. अनुदान की राशि शौचालय बनाये जाने के बाद दी जाती है. इसके लिए विभाग की तरफ से पूरी टीम लगी हुई है. इस बार थावे प्रखंड के एक – एक घर को शौचालययुक्त बनाने का काम चल रहा है. वहीं दूसरी तरफ नजर डालें, तो आज भी जिले के 5.72 लाख घरों में से 4.97 लाख घरों में शौचालय नहीं है. यूनिसेफ की जांच से यह खुलासा हुआ है.
गरीबों के घर बने शौचालय बेकार : गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे परिवारों के घरों में बने शौचालयों में 40 फीसदी बंद और 10 फीसदी टूटे हैं, जबकि जिला प्रशासन का दावा है कि 90 फीसदी शौचालय चालू हालत में हैं. यह कड़वा सच यूनिसेफ द्वारा केंद्र से कराये गये सेंसेस में पाया गया है. कई शौचालय ऐसे भी हैं, जो निर्माण कराने के एक सप्ताह के बाद तोड़ दिये गये. अफसोस की बात यह है कि सरकारी स्कूलों में शौचालयों की हालत बेहतर नहीं है. प्राथमिक व माध्यमिक स्कूलों में कमोवेश 40-50 फीसदी शौचालय टूटे व शौच योग्य नहीं हैं.
हर साल करोड़ों खर्च : स्वच्छता एवं शौचालय के नाम पर जिले में हर साल करोड़ों रुपये खर्च होते हैं. 2016-17 में थावे प्रखंड को खुले में शौचमुक्त बनाने के लिए अभियान चलाया गया है़ इसके तहत डीएम ने 31 मई तक का लक्ष्य रखा है, जबकि वर्ष 2015-16 वर्ष में जिले की 42 पंचायतों का चयन किया गया था, जिनमें हथुआ की जिगना जगरनाथ, सदर प्रखंड की चौराव तथा विशुनपुर, थावे की लक्षवार पंचायतों को खुले में शौच से मुक्ति दिलायी गयी. बाकी पंचायतों में भी शौचालय का निर्माण जैसे-तैसे किया जा रहा है. हाथ से मैला उठानेवाले स्वच्छकारों को अनुदान देकर रोजगार देने की योजना भी दो साल से बंद है. योजना के तहत स्वच्छकारों को 40 हजार रुपये सहायता मुहैया कराने का प्रावधान है.
क्या कहते हैं अधिकारी
स्वच्छता अभियान के तहत एक भी परिवार शौचालय से वंचित नहीं रहेगा.
चालू वित्तीय वर्ष में भी थावे प्रखंड के एक-एक घर में शौचालय निर्माण का लक्ष्य रखा गया है.
रंजन बैठा, समन्वयक, स्वच्छता मिशन
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