गोपालगंज : उम्र का अंतिम पड़ाव. 17 वर्षों से मुकदमा लड़ रही शांति देवी को नेशनल लोक अदालत ने गिला-सिकवा दूर करा दिया. अब अपनों के सहारे जीवन बितायेगी. पारिवारिक विवाद के कारण लंबे अरसे तक मुकदमा झेलना पड़ा. यह तो सिर्फ नमूना है. दरअसल नेशनल लोक अदालत में 7847 लोगों को कोर्ट और बैंक तथा विभिन्न मुकदमों से मुक्ति मिल गयी. नेशनल लोक अदालत का उद्घाटन जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुनील दत्त मिश्रा ने दीप जला कर किया.
इस मौके पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने कहा कि आज छोटी-छोटी बातों को लेकर मुकदमें कोर्ट में लंबित हैं. मुकदमों के बोझ से न्यायालय भी दबा हुआ है. आपसी भेदभाव को मिटा कर सुलह-समझौते से न सिर्फ मुकदमा समाप्त होता है, बल्कि समाज में एक नया माहौल तैयार होता है. इस माहौल को बनाने के लिए सभी अधिवक्ता और बुद्धिजीवियों के सहयोग की जरूरत है. नेशनल लोक अदालत में समय और पैसा दोनों की बचत होती है.
नेशनल लोक अदालत में निबटाये गये मामलों को अन्य किसी भी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती. इस मौके पर सब जज प्रथम प्रभुनाथ प्रसाद, न्यायिक दंडाधिकारी देवप्रिय कुमार, परमानंद मौर्य, अवर न्यायाधीश पंचम, विजय कृष्ण सब जज चतुर्थ, सहायक मनोज कुमार राम, सुरेंद्र प्रसाद, अशोक कुमार, वरीय अधिवक्ता विपिन बिहारी श्रीवास्तव, मनोज कुमार शर्मा, संजय द्विवेदी, अबुल खैर, रामबाबू सिंह, देवेंद्र मणि त्रिपाठी, सहित अन्य अधिवक्ता मौजूद थे.