गोपालगंज : सर्दी के दिनों में गंडक की तलहटी तथा चंवर एवं झील प्रवासी मेहमानों से कभी गुलजार होता था. प्रवासी पक्षियों की कलरव प्रकृति प्रेमियों को लुभाती रही है. वर्तमान में इनका आना कम हो गया है. इसके बावजूद इन विदेशी मेहमानों के प्रति अतिथि देवो भव: की परंपरा निभाने के बजाय इनकी जान से खिलवाड़ किया जा रहा है.
पक्षियों के पहुंचते ही शिकारियों की झुंड इनके सीने को बेध रही है. प्रवास और पेट भरने की खोज में पहुंचे इन बेजुबानों को डाला जाने वाला दाना ही इनकी मौत का सबब बन रहा है. गंडक के समीपवर्ती क्षेत्र डुमरिया, भागर जलाशय, रामपुर चंवर, घोघिया, सिंगही चंवर तथा खोरमपुर चंवर एक दशक पहले साइबेरियन पक्षियों से गुलजार होता था.
यहां लालसर, चकवा, कौवेल, दिघवच के नाम से प्रसिद्ध लगभग 120 पिक्षयों की प्रजातियां पहुंचती थीं. बामटेंस, स्वालिज, बतख एवं चाहा समुह, रेड ब्रेसटेड, लाइकेचर, ब्लैक रेड स्टार्ट नामक पक्षियां लोगों को आकर्षित करती थीं. हालात बदले, शिकारियों का कहर इन पर टूटता गया और हजारों की संख्या में आनेवाले ये पक्षी अब सैकड़ों की संख्या में आ रहे हैं.
जो पहुॅंच रहे हैं उनका शिकार करने के लिए शिकारी पहले से ही इन स्थानों पर अपना डेरा जमाये हुए हैं. धड़ल्ले से इनका शिकार जारी है. इनके शिकार पर प्रशासन की ओर से न तो कोई रोक है और न कानून ही इन्हें रोक पाता है.प्रवासी पक्षियों के मांस से सजती है रईशजादाें की महफिलवर्तमान में प्रवासी पक्षी 600 रुपये से 1200 रुपये जोड़ा तक बिक रहे हैं.
रईशजादों की गाड़ियां इन्हें खरीदने के लिए जलाशय तथा नदी के किनारे पहुंच रही हैं. विदेशी मेहमान के मांस के ये शौकीन रईशजादों की महफिल आज कल विदेशी पक्षियों के मांस से सज रही है. क्या है कानून वन्य जीव अधिनियम 1972 के अंतर्गत प्रवाशी पक्षियों के शिकार पर पूर्णत: रोक है.
2015 में इस नियम को संशोधित करते हुए इन पक्षियों के शिकार करनेवाले पर 10 हजार रुपये जुर्माना और तीन से सात साल तक की सजा का प्रावधान है. जब शिकार एक से ज्यादा बार किया गया हो तो वैसी स्थिति में 25 हजार रुपये का जुर्माना एवं सात साल की सजा का प्रावधान है. एक दशक में एक लाख से अधिक विदेशी पक्षियों का शिकार हो चुका है.