(गोपालगंज) : गोपालगंज का मंडल कारा सुबह आठ बजे से ही बदला बदला नजर आ रहा था. यहां लोगों की भीड़ धीरे-धीरे इकट्ठा हो रही थी. लोग सतीश पांडेय की रिहाई के मौके पर स्वागत के लिए जुट रहे थे. लोगों की भीड़ के अंदाजा भी प्रशासन को नहीं था. सतीश पांडेय की रिहाई सोमवार को नया इतिहास रच गया. पहली बार जेल से निकलनेवाले किसी अपराधी का इतना बड़ा भव्य स्वागत की तैयारी थी.
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जेल गेट पर पल-पल बढ़ती गयी समर्थकों की भीड़
(गोपालगंज) : गोपालगंज का मंडल कारा सुबह आठ बजे से ही बदला बदला नजर आ रहा था. यहां लोगों की भीड़ धीरे-धीरे इकट्ठा हो रही थी. लोग सतीश पांडेय की रिहाई के मौके पर स्वागत के लिए जुट रहे थे. लोगों की भीड़ के अंदाजा भी प्रशासन को नहीं था. सतीश पांडेय की रिहाई सोमवार […]
जैसे-जैसे पारा चढ़ता गया, वैसे ही लोगों की भीड़ भी बढ़ती गयी. पल-पल समर्थकों का उत्साह बढ़ रहा था. दिन के 10.30 बजे विधायक अमरेंद्र कुमार उर्फ पप्पू पांडेय वाहनों के काफिला के साथ पहुंचे. उनके पहुंचते ही भीड़ का उत्साह बढ़ गया. लोग दो ड्राॅप गेट को पार कर जेल के मुख्य गेट पर पहुंच गये.
जेल से बाहर निकलने में सतीश पांडेय को कोरम पूरा करने में वक्त लगा. दोपहर 12.30 बजे सतीश पांडेय सफेद रंग का कुरता और लाल रंग की बंडी, मॉफलर लिये निकले. उनके निकलते ही विधायक पैर छू कर प्रणाम किये और लोगों के द्वारा अभिवादन करने का सिलसिला शुरू हो गया. भीड़ सतीश पांडेय से मिलने के लिए व्याकुल हो गयी. भीड़ से पूरा जेल परिसर खचाखच भरा हुआ था. पैर तक रखने की जगह नहीं बची थी. सैकड़ों लग्जरी गाड़ियां जेल परिसर में सतीश पांडेय के निकलने के इंतजार में खड़ी थी. सतीश पांडेय को लेकर वाहनों का काफिला निकल गया.
मुख्य धारा से जुड़ेंगे सतीश पांडेय : जेल से जमानत पर रिहा होने के बाद सतीश पांडेय ने मौजूद पत्रकारों से कहा कि वे समाज की मुख्य धारा से जुड़ कर जिले के लोगों की सेवा करना चाहते हैं. लोगों के अपार स्नेह और समर्थन के बदौलत ही मुझे आज का दिन नसीब हुआ है.
सतीश पांडेय ने कहा कि आरंभ से ही मुझे न्याय पर भरोसा था. सरकार और न्याय के प्रति मैं आश्वस्त था. कानून ने मुझे न्याय दिया है. मैं न्याय का हर वक्त सम्मान करता हूं. चुनाव लड़ने के प्रश्न पर सतीश पांडेय ने कहा कि वक्त तय करेगा.
सुशासन पर भरोसा कर सतीश पांडेय ने किया था सरेंडर : गोपालगंज. सतीश पांडेय ने 1984 में अपराध की दुनिया में कदम रखा. ताबड़तोड़ अापराधिक घटनाओं को अंजाम दिया. पुलिस 1985 से सतीश पांडेय की तलाश में लाखों रुपये पानी की तरह बहा दिया. 63 बार कांबिंग ऑपरेशन यूपी पुलिस के साथ चला.
यूपी पुलिस के अलावा दिल्ली में भी छापेमारी हुई. लेकिन, सतीश पांडेय का सुराग तक पुलिस नहीं ढूंढ पायी थी. भाई अमरेंद्र कुमार उर्फ पप्पू पांडेय 2005 में विधायक चुने गये. पत्नी उर्मिला पांडेय जिला पर्षद की अध्यक्षा बन चुकी थी.
सुशासन की सरकार के सदस्य पप्पू पांडेय ने पहल की. तत्कालीन डीएम कुलदीप नारायण एवं केएस अनुपम की अहम भूमिका रही. केएस अनुपम के प्रयास पर सतीश पांडेय ने 20 अप्रैल, 2010 को एके-47 के साथ गोपालगंज समाहरणालय में आकर सरेंडर कर दिया था.
सतीश पांडेय के सरेंडर के दौरान दस हजार से अधिक भीड़ शहर में मौजूद थी. काफी चाक-चौबंद सुरक्षा व्यवस्था के बीच सतीश पांडेय ने सरेंडर किया था.
तब पुलिस कप्तान रहे केएस अनुपम को एक और सफलता मिली. इससे पहले केएस अनुपम ने जंगल पार्टी सरगना भागर यादव को बेतिया में सरेंडर करा कर सतीश पांडेय को सरेंडर कराने की मिशन लेकर गोपालगंज पहुंचे थे. सतीश पांडेय के सरेंडर के बाद धीरे-धीरे मुकदमों में सुनवाई होने के साथ-साथ बरी भी होने लगे थे. बिहार के पूर्व मंत्री बृज बिहारी प्रसाद हत्याकांड में हाइकोर्ट से जमानत मिलने के बाद विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने उन पर सीसीए लगा कर निरुद्ध कर दिया था. चुनाव के बाद सोमवार को सतीश पांडेय जमानत पर रिहा हुए.
खुद को विशेष दिखाने के लिए लगे रहे लोग : सतीश पांडेय की रिहाई के दौरान जिले भर से कई ऐसे लोग भी देखे गये, जो खुद को विधायक और सतीश पांडेय को दिखाने के लिए पहुंचे थे. इतना ही नहीं, इलाके के लोगों को भी जनाना था कि उनका संबंध विधायक और सतीश पांडेय से है.
लोग भीड़ में खुद को दिखाने के लिए बेताब थे. जानकारों की मानें, तो कई ऐसे लोग थे, जिन्हें कोई पहचानता तक नहीं. लेकिन, दिखावे के लिए वे भी भीड़ के हिस्सा थे.
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