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राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू करने की तैयारी

राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू करने की तैयारी- उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग ने सभी तरह की शराब बंद करने की कवायद कर दी शुरू- उत्पादन इकाईयों, देसी ठेका और विदेशी दुकानों के ठेके को रद्द करने पर चल रहा विचारसंवाददाता, पटनामद्य निषेध दिवस (26 नवंबर) के मौके पर राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू करने […]

राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू करने की तैयारी- उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग ने सभी तरह की शराब बंद करने की कवायद कर दी शुरू- उत्पादन इकाईयों, देसी ठेका और विदेशी दुकानों के ठेके को रद्द करने पर चल रहा विचारसंवाददाता, पटनामद्य निषेध दिवस (26 नवंबर) के मौके पर राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू करने की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की घोषणा को अमलीजामा पहनाने की कवायद शुरू हो गयी है. उत्पाद एवं मद्य निषेध मंत्री अब्दुल जलील मस्तान ने कहा कि शराबबंदी मतलब राज्य में हर तरह की शराब का राज्य में उत्पादन और बिक्री पूरी तरह से बंद होना. देसी हो या विदेशी सभी तरह की शराब की बिक्री तथा उत्पादन को पूरी तरह से बंद किया जायेगा. नये वित्तीय वर्ष में शराब की दुकानों के ठेके नहीं होंगे और न ही किसी कलाली (देसी दारू का अड्डा) का ही ठेका हो पायेगा. ऐसे भी मौजूदा वित्तीय वर्ष में राज्य में सभी तरह के ऑन शॉप को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है. साथ ही अधिकांश बार का भी लाइसेंस रद्द कर दिया गया है. इसके बाद अब शराब की बिक्री को बंद करने की कवायद तेजी से की जा रही है. विभागीय मंत्री ने कहा कि राज्य में किसी तरह के शराब के उत्पादन की जितनी भी इकाईयां हैं, उन्हें भी बंद कर दिया जायेगा. हालांकि इन्हें बंद करने और शराब ठेके का लाइसेंस रद्द करने से संबंधित एक खास कार्ययोजना तैयार की जा रही है. इसके लिए विभाग एक नीति तैयार करने में जुटा हुआ है. इसमें इसे पूर्ण बंद करने से संबंधित तमाम बातों का उल्लेख किया जा रहा है. इसे पूरे राज्य में किस तरह प्रभावी ढंग से लागू किया जा सकता है, इससे जुड़े तमाम प्रावधानों का जिक्र किया जा रहा है. यह संभावना व्यक्त की जा रही है कि इस नयी नीति को बजट सत्र में विधान मंडल से पारित कराकर पूरी तरह से लागू कर दिया जायेगा.ये हैं रास्ते की प्रमुख चुनौती- राज्य में वर्ष 2013 और 2014 में पूरे सूबे को 17 जोन में बांटकर अलग-अलग कंपनियों को पांच साल के लिए देसी शराब का ठेका आवंटित किया गया है.- इसके बाद देसी शराब को पेट बोतल और होलोग्राम सील के साथ बेचने की शुरू की गयी थी.- तमाम देसी ठेका लेने वाली कंपनियों ने इन मानकों के आधार पर अपनी इकाई पांच साल तक संचालन करने के हिसाब से स्थापित कर रखी है. – ऐसे में इन कंपनियों के ठेके का लाइसेंस बीच में ही रद्द करने से कानूनी समस्या खड़ी हो सकती है. हालांकि लाइसेंस रद्द करने पर विभाग इन्हें मुआवजा देने पर भी विचार कर सकता है. – कुछ जानकार बता रहे हैं कि विभाग अपने अधिकारों का प्रयोग कर ऐसा कर सकता है, लेकिन कुछ का कहना है कि इसमें कई तरह के कानूनी पेंच फंस सकते हैं.- शराब की ब्लैक मार्केटिंग रोकना भी सबसे बड़ी चुनौती है. 1977-78 में एक बार शराब बंदी की घोषणा हुई थी, लेकिन ब्लैक मार्केटिंग पर अंकुश नहीं लगने से डेढ़ साल में ही इसे फिर से शुरू करना पड़ा था.

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