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…तो सरकारी राशि से हुआ प्रतिमा का नर्मिाण !

…तो सरकारी राशि से हुआ प्रतिमा का निर्माण ! ..योजना शिलापट्ट दे रहा धोखा फोटो 8- फोटो नौ दिसंबर को आया थाभोरे. यह आंखों का धोखा है या और कुछ. यहां तो देशरत्न डॉ राजेंद्र बाबू की प्रतिमा जो 40 वर्ष पुरानी है, उसका निर्माण एक बार फिर से हो गया, वह भी सरकारी राशि […]

…तो सरकारी राशि से हुआ प्रतिमा का निर्माण ! ..योजना शिलापट्ट दे रहा धोखा फोटो 8- फोटो नौ दिसंबर को आया थाभोरे. यह आंखों का धोखा है या और कुछ. यहां तो देशरत्न डॉ राजेंद्र बाबू की प्रतिमा जो 40 वर्ष पुरानी है, उसका निर्माण एक बार फिर से हो गया, वह भी सरकारी राशि से. यह हम नहीं कह रहे, बल्कि कार्ययोजना का शिलापट्ट कह रहा है. यह कारनामा भोरे प्रखंड कार्यालय में हुआ है. यहां रोज अधिकारियों का आना-जाना लगा रहता है. ऐसे में किसी की नजर विभाग के इस कारनामे पर नहीं पड़ रही है. किसी भी प्रतिमा का निर्माण सरकारी राशि से कराने का प्रावधान नहीं है. ऐसे में कार्ययोजना का शिलापट्ट धोखा दे रहा है या फिर मामला कुछ और ही है. हालांकि प्रशासनिक अधिकारी इस पूरे मामले को मानवीय भूल बता रहे हैं. लेकिन, कार्ययोजना का शिलापट्ट एक वर्ष पुराना है, वह कुछ और ही बयां कर रहा है. क्या है पूरा मामला-दरअसल, वित्तीय वर्ष 2014-15 में चतुर्थ राज्य वित्त आयोग से एक योजना तैयार की गयी थी. इसमें 1.85 लाख रुपये की लागत से भोरे-सिसई पथ से निकल कर प्रखंड कार्यालय के पीछेवाली सड़क का निर्माण होना था. इसमें दो छोटे-छोटे पुलिया के भी निर्माण कराये जाने थे. काम पूरा हुआ, कार्यस्थल पर जो शिलापट्ट लगाया गया, वहां योजना का नाम भोरे-सिसई पथ से निकल कर प्रखंड कार्यालय के पीछे से जानेवाली सड़क का मिट्टीकरण/ईंटीकरण कार्य एवं प्रतिमा निर्माण कार्य का शिलापट्ट लगाया गया, जिसमें कार्य एजेंसी का नाम अमरेंद्र कुमार सिंह, कनीय अभियंता भोरे, सहायक अभियंता लक्ष्मीकांत ठाकुर, बीडीओ उमेश कुमार सिंह एवं प्रमुख कलावती देवी के नाम भी अंकित कर दिये गये. इस पूरे प्रकरण में सबसे मजेदार बात यह है कि शिलापट्ट पर सड़क निर्माण के साथ-साथ प्रतिमा निर्माण लिखा गया. सड़क जहां समाप्त हुई, वहां डाॅ राजेंद्र बाबू की 40 वर्ष पुरानी प्रतिमा स्थापित है. अब इसे क्या कहा जाये, आंखों का धोखा या फिर और कुछ. क्या कहतें है अधिकारीइस संबंध में जब डीडीसी जीउत कुमार सिंह से बात की गयी तो, उन्होंने कहा कि किसी प्रतिमा का निर्माण सरकारी राशि से नहीं होता. मामले की जानकारी लेने के बाद ही कुछ बताया जा सकता है. थोड़ी देर बाद उन्होंने कहा कि शिलापट्ट पर लिखी बातें मानवीय भूल हैं. कार्य में दो पुलिये की जगह, प्रतिमा निर्माण की बात लिखी गयी.

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