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न आदेश, न अधिसूचना और बढ़ा दी जमीन की रजस्ट्रिी की दर

न आदेश, न अधिसूचना और बढ़ा दी जमीन की रजिस्ट्री की दर – कई जिलों में टारगेट पूरा करने के लिए जिला स्तरीय पदाधिकारियों ने की मनमानी- जिन-जिन स्थानों पर जमीन की दर काफी अधिक है, वहां बढ़ा कर ले रहे निबंधन शुल्क- सभी जिलों को कहा गया अपने-अपने यहां की एमवीआर की समीक्षा कर […]

न आदेश, न अधिसूचना और बढ़ा दी जमीन की रजिस्ट्री की दर – कई जिलों में टारगेट पूरा करने के लिए जिला स्तरीय पदाधिकारियों ने की मनमानी- जिन-जिन स्थानों पर जमीन की दर काफी अधिक है, वहां बढ़ा कर ले रहे निबंधन शुल्क- सभी जिलों को कहा गया अपने-अपने यहां की एमवीआर की समीक्षा कर भेजने को- पटना, मुजफ्फरपुर, भागलपुर, मोतिहारी समेत अन्य जिलों में बढ़ी दर पर रजिस्ट्री संवाददाता, पटनाराज्य के कई जिलों में जमीन की रजिस्ट्री की दर बढ़ा कर ली जा रही है. ताज्जुब की बात यह है कि इसके लिए निबंधन विभाग की तरफ से न कोई आदेश निकला गया है और न ही किसी तरह की अधिसूचना ही जारी की गयी है. जिलाें के निबंधन पदाधिकारियों ने अपने स्तर से ही यह बढ़ोतरी कर दी है. प्राप्त सूचना के अनुसार कुछ बड़े जिलों, मसलन पटना, मुजफ्फरपुर, भागलपुर, पूर्वी चंपारण समेत अन्य जिलों में रजिस्ट्री की दर में बढ़ोतरी करने की बात सामने आयी है. इसका कारण चालू वित्तीय वर्ष के दौरान हर हाल में निबंधन शुल्क का टारगेट पूरा करने का जद्दोजहद बताया जा रहा है. हालांकि, इस तरह का कोई अधिकारिक आदेश विभाग की तरफ से जारी नहीं किया गया है.टारगेट पूरा करने के लिए की यह मनमानीसूत्र बताते हैं कि पिछले वित्तीय वर्ष में विभाग का राजस्व एकत्र करने का टारगेट पूरा नहीं हो सका था. इस कारण चालू वित्तीय वर्ष में निर्धारित टारगेट को हर हाल में पूरा करने के लिए कहा गया, तो कई जिलों ने यह शॉर्टकट रास्ता निकाल लिया. इसके पीछे का गणित यह है कि एक जनवरी, 2016 से राज्य में नयी एमवीआर लागू होनेवाली है. कई जिलों ने इस नयी एमवीआर को लागू होने से पहले ही इसका फायदा उठाने की सोची और बढ़ी हुई अनुमानित दर पर रजिस्ट्री की दर को अभी से ही लागू कर दिया, ताकि चालू वित्तीय वर्ष का टारगेट प्राप्त किया जा सके. इन जिलों ने अनुमान के अनुसार एमवीआर दर में उतनी बढ़ोतरी की है, जितनी एक जनवरी से लागू होने की संभावना है. जब तक नयी दर की अधिसूचना जारी कर दी जाती, तब तक इस तरह से अनुमानित दर को लागू करना उचित नहीं है. जिलों को कहा गया समीक्षा कर एमवीआर भेजने कोफिलहाल नयी दर का निर्धारण करने के लिए सभी जिलों को अपने-अपने इलाके या मौजा या सर्किल की एमवीआर की समीक्षा करके भेजने के लिए कहा गया है, ताकि सभी जिलों से संशोधित एमवीआर दर प्राप्त होने के बाद इसकी राज्य पर अंतिम दौर की समीक्षा करके सभी जिलों के मौजे की नयी एमवीआर दर निर्धारित की जा सके. सभी जिलों में एमवीआर के निर्धारण के लिए डीएम की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया है. सभी जिलों से इसकी अनुशंसा प्राप्त होने के बाद विभागीय स्तर पर इसे अंतिम रूप दिया जाता है. मुख्य सचिव के अध्यक्षता में भी इसकी अंतिम बैठक होती है, इसके बाद इसकी अधिसूचना जारी की जाती है. एक जनवरी, 2016 से नयी एमवीआर दर लागू होना प्रस्तावित है.राजस्व की स्थिति पर एक नजरपिछले दो-तीन साल से निबंधन विभाग निर्धारित लक्ष्य के मुताबिक राजस्व की वसूली नहीं कर पा रहा है. 2014-15 के दौरान करीब 3200 करोड़ रुपये राजस्व का टारगेट था, जिसमें 2699 करोड़ ही वसूल हो पाया था. चालू वित्तीय वर्ष में चार हजार करोड़ का टारगेट रखा गया है, जिसमें नवंबर तक सिर्फ 2100 करोड़ ही राजस्व जमा हो पाया है. इस बार निबंधन विभाग के लिए राजस्व संग्रह करना बड़ी चुनौती है. पैसा लौटना इतना आसान नहींइस मामले में उत्पाद, मद्य निषेध एवं निबंधन मंत्री अब्दुल जलील मस्तान ने कहा है कि इस बार सिर्फ शहरी क्षेत्र की ही एमवीआर बढ़ेगी, ग्रामीण क्षेत्रों की नहीं. जिन लोगों से अधिक रजिस्ट्री दर ले ली गयी है, उनके पैसे लौटा दिये जायेंगे. लेकिन, यह इतना आसान नहीं है. जानकार बताते हैं कि एक बार सरकार के खजाने या ट्रेजरी में पैसा जमा होने और इसकी रसीद या चालान संबंधित व्यक्ति को मिलने के बाद इसे वापस उस व्यक्ति को लौटाना बहुत ही मुश्किल प्रक्रिया है. यह असंभव के समान है. ये पैसे कैश में जमा होते हैं और इसे वापस लौटाने के लिए लंबी और जटिल प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा.

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