गोपालगंज : वर्तमान समाज शराब रूपी जहर के आगोश में है. इसके कारण पल-पल लोग तड़प रहे हैं. कहीं नशे की लत में लोगों का घर उजड़ रहा है, तो कभी सड़क दुर्घटनाओं में असामयिक मौत हो रही है. अपराध का दिनों-दिन बढ़ता ग्राफ समाज को झकझोर कर रख दिया है.
बात बलात्कार की हो या हत्या की, लूट की हो या डकैती की सभी के पृष्ठभूमि में शराब की अहम भूमिका रही है. दंगे हों या सड़क पर लोगों को रौंदते वाहन शराब इसमें अपनी अहम भूमिका निभायी है. दो दशक में शराब घर-घर में अपनी जगह बना ली है और इसके कारण कई परिवार उजड़ चुके हैं. प्रतिवर्ष 70-80 लोगों की मौत जहां शराब पीने से होती है, वहीं एक हजार से अधिक लोग किडनी व फेफड़े की बीमारियों के हवाले हो रहे हैं.
यूं कहा जाये, तो पांच वर्ष का बच्चा हो या 80 वर्ष का बुजुर्ग, शराब के बढ़ते लत से सभी परेशान हैं. शराब को लेकर कराहते समाज के ऐन वक्त पर सीएम नीतीश कुमार द्वारा शराब बंदी कराने का लिया गया अहम एवं साहसिक फैसला न सिर्फ सामाजिक बुराइयों का खात्मा करेगा, बल्कि गांधी के सपनों को भी साकार करेगा. फिलहाल सीएम का यह निर्णय एक अप्रैल, 2016 से लागू होना है.
लेकिन,इस फैसले पर हर वर्ग उत्साहित है और सभी बुराइयों पर विजय पाते हुए एक नये समाज का सपना संजाये हैं. यदि सच में ऐसा हुआ, तो निश्चित ही गांव और जिले के ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश की सामाजिक तसवीर और लोगों की तकदीर बदली नजर आयेगी. नया बिहार का सुनहरा अवसर साबित होगा.