गोपालगंज : मौनिया चौक पर बुधवार की रात हुई फायरिंग की घटना के बाद घायलों के इलाज के दौरान पुलिस और डॉक्टरों को काफी फजीहत का सामना पड़ा. स्थिति बिगड़ते देख डॉक्टरों घायलों को रेफर कर दिया. उधर, लोगों में आक्रोश देख पुलिस ने ताबड़तोेड़ छापेमारी कर पुरानी चौक से दो व्यवसायियों समेत चार लोगों को हिरासत में ले लिया.
व्यवसायियों के हिरासत में लेने की खबर शहर में फैल गयी. व्यवसायियों का एक बड़ा हिस्सा सड़क पर आ गया. व्यवसायी अपनी दुकानों को बंद कर थाने पर पहुंच गये. पुलिस पर ज्यादती का आरोप लगाने लगे. पुलिस ने बढ़ते व्यवसायियों के आक्रोश को देख पूछताछ के बाद व्यवसायियों को छोड़ दिया.
उधर, विश्वम्भरपुर थाना क्षेत्र से दो संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है. हालांकि इसकी अाधिकारिक पुष्टी नहीं हो सकी है. पुलिस इस फायरिंग को लेकर गंभीरता से जांच कर रही है. पुलिस इंस्पेक्टर संजीव कुमार सिंह खुद इसकी जांच कर रहे है.
पुलिस का मानना है कि मांझा थाना क्षेत्र के कोल्हुआ के रहनेवाले रंजन सिंह तथा उसके चचेरे भाई ललीत सिंह पर टारगेट कर अपराधियों ने फायिरंग की है. रंजन सिंह से पुरानी दुश्मनी को लेकर हर बिंदु पर पुलिस जांच कर रही है. पुलिस की टीम अलग -अलग ठिकानों पर छापेमारी कर रही है.
रंजन सिंह लखनऊ रेफर गोलीबारी में घायल रंजन सिंह की हालत को गंभीर देख गोरखपुर मेडिकल कॉलेज से डॉक्टरों ने पीजीआइ लखनऊ के लिए रेफर कर दिया है, जबकि घायलों में चचेरे भाई ललीत सिंह फिल हाल खतरे से बाहर बताया गया है. रंजन सिंह की स्थिति को लेकर परिजन और रिश्तेदार काफी चिंतित है.
अस्पताल में विस्फोटक बन गयी थी स्थितिमौनिया चौक पर रंजन सिंह पर फायरिंग की सूचना मिलते ही सदर अस्पताल में सैकड़ों की संख्या में लोग उग्र होकर पहुंच गये.
अस्पताल में जो आये वह पुलिस और डॉक्टर पर ही अपना आक्रोश निकालने लगे. उग्र लोगों ने अस्पताल में इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर के साथ भी झड़प कर ली. मौजूद पुलिस के अधिकारियों ने काफी धैर्य से काम लिया और किसी तरह लोगों शांत कराने में लग गये. उधर, डॉक्टरों ने तत्काल रेफर कर अपनी जान बचायी.
रात के 9 बजे तक अस्पताल में गहमागहमी का माहौल बना रहा. फ्लैस बैक:- मौनिया चौक पर हुई थी मुखिया अमरजीत यादव की हत्या मौनिया चौक पर एक दशक पूर्व वर्ष 2004 में इसी स्टॉइल में शाम 4 बजे अत्याधुनिक हथियारों से लैस अपराधियों ने अंधाधुध फायरिंग कर मुखिया अमरजीत यादव की हत्या कर दी थी.
इस हत्या के बाद शहर में दहशत का माहौल व्याप्त हो गया और अपराधियों ने व्यवसायियों से लेवी वसूलने का काम शुरू कर दिया था. अमरजीत यादव हत्याकांड में पुलिस को कोई सुराग नहीं मिला.
इसके कारण हत्यारों को सजा भी नहीं हो पायी. अमरजीत यादव की हत्या ने रंजन सिंह पर हुई फायरिंग की घटना ने ताजा कर दिया है. पुलिस की टीम भले ही अपराधियों तक पहुंचने का दावा करे, लेकिन जबतक खुलासा नहीं होता तब तक कुछ भी कहना मुश्किल है.