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विस चुनाव में आदर्श आचार संहिता उल्लंघन का बना नया रिकॉर्ड

विस चुनाव में आदर्श आचार संहिता उल्लंघन का बना नया रिकाॅर्डनेताओं के बोल से परेशान रहा चुनाव आयोगचेतावनी का भी नेताओं पर नहीं हुआ कोई असरसंवाददाता, पटनाइस बार की विधानसभा चुनाव में आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के मामले का रिकाॅर्ड बन गया. आमतौर पर पिछले दिनों हुए चुनाव में अधिक से अधिक तीन सौ […]

विस चुनाव में आदर्श आचार संहिता उल्लंघन का बना नया रिकाॅर्डनेताओं के बोल से परेशान रहा चुनाव आयोगचेतावनी का भी नेताओं पर नहीं हुआ कोई असरसंवाददाता, पटनाइस बार की विधानसभा चुनाव में आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के मामले का रिकाॅर्ड बन गया. आमतौर पर पिछले दिनों हुए चुनाव में अधिक से अधिक तीन सौ आदर्श आचार संहिता उल्लंघन के मामले दर्ज होते रहे हैं. अंतिम चरण के चुनाव के दो दिन पहले ही 1924 मामले दर्ज हो चुके हैं. दर्ज मामलों में नेताओं की बदजुबानी का रिकॉर्ड 78 मामला दर्ज किया गया, जिसमें अमित शाह और लालू प्रसाद के बीच कई ऐसे शब्दों का प्रयोग किया गया, जो खबरों में सुर्खियां बनी रहीं. चुनाव अयोग ने नरपिशाच, नरभक्षी, जल्लाद और चुनाव हारने पर पाकिस्तान में पटाखा छूटने को गंभीरता से लिया. राहुल गांधी को हिंदू और मुसलमान को लड़ाने की भाजपा पर आरोप के लिए आयोग ने नोटिस जारी किया गया. हालांकि इन नेताओं को चार नवंबर तक जवाब देना है. इन मामलों में लालू प्रसाद, अमित शाह और राहुल गांधी को नोटिस भी जारी किया गया है. शरद यादव के बयान पर भी चुनाव आयोग ने चेतावनी दी. आरोप-प्रत्यारोप का दौर इतना चला कि चुनाव आयोग ने कई मामलों में नेताओं से लिखित जवाब तक मांगा. आयोग की बार बार की चेतावनी के बावजूद प्रचार संपन्न होने तक ऐसे शब्दों का प्रयोग होता रहा. आदर्श आचार संहिता उल्लंघन का मामलेबिना अनुमति की बैठक और भाषण में बदजुबानी के मामले- 78वोटरों से वोट के लिए लालच देने का मामला- 24लाउडस्पीकर के दुरुपयोग- 55वाहनों पर लाल बत्ती और झंडा लगाने का मामला- 302निजी भवनों पर दीवाल लेखन, पोस्टर चिपकाने का मामला- 181सरकारी भवनों के दीवालों पर पोस्टर लगाने और लेखन का मामला- 979अन्य मामले- 305चेतावनी के साथ बढ़ता गया उल्लंघन का मामलापहला चरण- 247दूसरा चरण- 328तीसरा चरण- 542चौथा चरण- 516पांचवा चरण- 291नेताआें को गाली की भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए. कुछ तो ऐसे शब्द का प्रयोग करते हैं, जिससे समाज में तनाव पैदा होता है. चुनाव आयोग को लोक प्रतिनिधित्व एक्ट के अलावा अन्य प्रावधानों में कार्रवाई करनी चाहिए. सबसे बड़ी बात यह है कि लोगों को ऐसे लगत भाषा का प्रयाेग करने वाले नेताओं को ही नकारना चाहिए. के जे राव, पूर्व सलाहकार, भारत निर्वाचन आयोग

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