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कम संसाधनों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षाहाल अनुग्रह मेमोरियल लॉ कॉलेज कादो स्थायी व पांच अस्थायी शिक्षक के सहारे कॉलेज2013 से पहले चार वर्षों तक बंद थी कॉलेज में पढ़ाईसंवाददाता, गयाअनुग्रह मेमोरियल (एएम) लॉ कॉलेज में संसाधनों की कमी तो दिखती है, पर शिक्षा की गुणवत्ता में कोई कमी नहीं दिखती है. लॉ के तीन वर्षीय कोर्स […]

कम संसाधनों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षाहाल अनुग्रह मेमोरियल लॉ कॉलेज कादो स्थायी व पांच अस्थायी शिक्षक के सहारे कॉलेज2013 से पहले चार वर्षों तक बंद थी कॉलेज में पढ़ाईसंवाददाता, गयाअनुग्रह मेमोरियल (एएम) लॉ कॉलेज में संसाधनों की कमी तो दिखती है, पर शिक्षा की गुणवत्ता में कोई कमी नहीं दिखती है. लॉ के तीन वर्षीय कोर्स के लिए कॉलेज में 160 सीटें निर्धारित हैं. सत्र 2015-18 के प्रथम बैच की 80 सीटों पर नामांकन जुलाई में, जबकि दूसरे बैच की 80 सीटों पर नामांकन अक्तूबर के पहले सप्ताह में ही पूरा करा लिया गया है. प्रथम बैच के विद्यार्थियों का क्लास अगस्त से शुरू है, जबकि दूसरे बैच के स्टूडेंट्स का क्लास एक-दो दिन में शुरू कराया जायेगा.गौरतलब है कि इससे पहले संसाधनों के अभाव में चार वर्षों तक कॉलेज में लॉ की पढ़ाई बंद करा दी गयी थी. काफी प्रयास के बाद मगध विश्वविद्यालय ने 2013 में अगले तीन सत्रों के लिए कॉलेज के तीन वर्षीय लॉ कोर्स की पढ़ाई की अनुमति दी थी. फिलहाल, एएम लॉ कॉलेज में सत्र 2013-14 व 2014-15 के 340 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं. इन्हें पढ़ाने के लिए दो स्थायी व पांच अस्थायी शिक्षक कार्यरत हैं. कॉलेज में व्यवस्थित क्लासरूम व करीब पांच हजार कानून की किताबों के पुस्तकालय की व्यवस्था है. तीन वर्षीय लॉ कोर्स के लिए सामान्य विद्यार्थियों से 7500 रुपये व आरक्षित वर्ग के स्टूडेंट्स से 7260 रुपये लिये जाते हैं. कोर्स फीस से ही कॉलेज में जरूरी संसाधनों व अस्थायी शिक्षकों के वेतन का इंतजाम होता है. इसके लिए सरकार की तरफ से कॉलेज प्रबंधन को अलग से अनुदान नहीं मिलता है.केंद्र के हवाले हो व्यावसायिक शिक्षाकेंद्र सरकार को चाहिए की वोकेशनल कोर्सों को वह अपने अधीन ले ले. इससे इन कोर्सों के स्तर में काफी सुधार होगा. राज्य सरकार कॉलेज प्रबंधन को लॉ कोर्स की अनुमति तो दे देती है, पर शिक्षक व अन्य जरूरी संसाधन जुटाने के लिए कोई अनुदान नहीं देती है. संसाधनों के अभाव में बिहार के कॉलेजों में वोकेशनल कोर्सों की स्थिति काफी दयनीय है. कॉलेज में कम संसाधनों में ही दक्ष शिक्षकों द्वारा विद्यार्थियों को कानून (लॉ) की शिक्षा दी जा रही है. अगर सरकार से अनुदान मिले, तो कॉलेज की व्यवस्था और बेहतर हो सकती है.डॉ प्रदीप श्रीवास्तव, प्रभारी प्राचार्य

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