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दरिया की मछलियां भी करती हैं दुआ

गोपालगंज. रमजान मेंं हर घड़ी रहमत भरी है. इस महीने में सवाब बहुत बढ़ जाता है. नफिल इबादत का सवाब फर्ज इबादत के बराबर और फर्ज का सत्तर गुना बढ़ जाता है. रोजेदार के लिए दरिया की मछलियां भी दुआ करती हैं. रोजा बातिनी इबाइत है. जब तक हम किसी पर जाहिर नहीं करते किसी […]

गोपालगंज. रमजान मेंं हर घड़ी रहमत भरी है. इस महीने में सवाब बहुत बढ़ जाता है. नफिल इबादत का सवाब फर्ज इबादत के बराबर और फर्ज का सत्तर गुना बढ़ जाता है. रोजेदार के लिए दरिया की मछलियां भी दुआ करती हैं. रोजा बातिनी इबाइत है. जब तक हम किसी पर जाहिर नहीं करते किसी को जानकारी नहीं होती हमारा रोजा है. अल्लाह को पोशिदा इबादत बहुत पसंद है. आसमानों व जन्नत के दरवाजे खोल दिये जाते हैं. इस मोबारक महीने की किसी भी रात में जो नमाज पढ़ी जाती है, उसमें हर सजदे के बदले एक हजार सात सौ नेकियां मिलती हैं. इस महीने में मोमिन का रिज्क बढ़ा दिया जाता है. रोजेदार को इफ्तार करानेवाले को वैसे ही सवाब मिलता है. जैसे रोजेदार को अगरचे एक घोंट दूध या एक खजूर या एक एक घोंट पानी से इफ्तार कराये. रमजान में हर तोबा कबूल की जाती है. इफ्तार के वक्त रोजाना साठ हजार गुनहगार की मगफरत की जाती है. हाजी शौकत मियां कहते हैं कि रमजान के महीने में जो कोई अपने मां-बाप के साथ भलाई करेगा, मौला ताला उस पर निगाहें रहमत फरमायेगा. इस महीने में इबादतों का सवाब दस गुना से सात सौ गुना बढ़ जाता है.

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