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98.51 करोड़ का ऋण ले की थी खेती
बैंकों के कर्ज में डूबे किसानों के चेहरे पर छायी है मायूसी गोपालगंज : जिले में जहां फसल क्षति से किसानों की कमर टूट गयी है, वहीं बैंकों का कर्ज चुकाना जिंदगी का बोझ बन गया है. रात की नींद तथा दिन का चैन छिन गया है. किसान की इस दुर्दशा पर शासन-प्रशासन के लोग […]
बैंकों के कर्ज में डूबे किसानों के चेहरे पर छायी है मायूसी
गोपालगंज : जिले में जहां फसल क्षति से किसानों की कमर टूट गयी है, वहीं बैंकों का कर्ज चुकाना जिंदगी का बोझ बन गया है. रात की नींद तथा दिन का चैन छिन गया है. किसान की इस दुर्दशा पर शासन-प्रशासन के लोग चुप्पी साधे हुए हैं.
विभिन्न बैंकों से 98.51 करोड़ के किसान क्रेडिट कार्ड से राशि लेकर खेती में लगायी. किसानों की लागत भी नहीं निकल सकी. किसान अब कर्ज कहां से चुकायेंगे, इसकी चिंता पूरे परिवार को सता रही है.
किसानों के चेहरे पर मायूसी छायी हुई है. अब खरीफ फसल की बोआई कैसे होगी इसको लेकर कम संघर्ष नहीं है. गóो का मूल्य चीनी मिलों की तिजोरी में बंद है. चीनी मिल किसानों की गाढ़ी कमाई का भुगतान नहीं दे पा रहा है. महंगे डीजल, खाद, बीज, सिंचाई आदि को लेकर किसान काफी व्यथित हैं. कई किसान अब खेती को छोड़ने की तैयारी कर रहे हैं. कई बटाईदार किसान खेती छोड़ मजदूरी कर रहे हैं. नीचे दिये केस तो महज बानगी मात्र है.
किसानों की ऋण वसूली पर नहीं लगी रोक
कृषि विभाग की दावे को मानें तो बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि से जिले की 90 से 100 फीसदी तक गेहूं की फसल बरबाद हुई है. लहलहाती गेहूं की बालियों में दाना नहीं आया. दाना नहीं आने से किसानों को सर्वाधिक क्षति हुई. इसके लिए सिपाया कृषि केंद्र कृषि वैज्ञानिक डॉ राजेंद्र प्रसाद के नेतृत्व में टीम का गठन कर जब जांच करायी गयी, तो सामने आया कि गेहूं की बाली में जब परागण पलने की बारी आयी, तो बारिश की बूंदों की चोट ने उसे झाड़ दिया.
क्या कहते हैं अधिकारी
स्थिति से डीएम साहब को अवगत करा दिया गया है. जिन किसानों ने केसीसी लेकर रबी की बोआई की थी, उनका ऋण बीमित है. फसल कटनी प्रयोग की रिपोर्ट के आधार पर बीमा कंपनी को इसकी भरपाई करनी चाहिए.
डॉ रविंद्र सिंह, डीएओ
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