प्रतियोगी सोच बच्चों में लाने की पहलमल्टीपल च्वाइस बेस तैयार करफोटो-11संवाददाता, गोपालगंज इस समय के बच्चे यूं तो पहले काफी स्मार्ट हो गये हैं. स्मार्ट होते बच्चों की मेधा को धार देने के लिए स्कूल भी अपनी ओर से कई तरह के जतन करने लगे हैं. कुछ स्कूल जहां बच्चों की डायग्नोस्टिक जांच करके उनकी मेधा को परख रहे हैं, तो कुछ स्कूल बच्चों के सोच प्रतियोगी बनाने की कोशिश में जुटे हैं. सीबीएसइ से संचालित शहर के ज्यादातर स्कूलों में इस महीने के बाद ग्रीष्मकालीन अवकाश होना था. इस बीच सरकार ने स्कूलों मंे ग्रीष्मावकाश का दिया. बता दें कि अवकाश से पहले कई स्कूलों में बच्चों की दक्षता गढ़ने का काम किया जा रहा है, जिससे वह प्रतियोगिता के दौर में आगे बढ़ सकें. रेह सेंट्रल स्कूल, बघउच ने बच्चों का रु झान देखने के लिए कुछ समय से डायग्नोस्टिक टेस्ट शुरू किया था, जिसके माध्यम से बच्चों के रु झान का परीक्षण किया जा रहा है. वहीं, कुछ स्कूलों ने प्रतियोगी परीक्षाओं के लिहाज से सप्ताह में एक दिन बच्चों की रीजनिंग व एमसीक्यू (मल्टीपल च्वाइस बेस) प्रश्नावली तैयार करके तैयारी करा रहे हैं. डीएवी पब्लिक स्कूल, थावे में कक्षा छह से इसकी शुरुआत की गयी थी. स्कूली शिक्षा में हो रहे इस बदलाव से बच्चों पर सकारात्मक असर दिख रहा है. इस बीच आये भूकंप के झटकों के कारण सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों में छुट्टी होने से इस पर भी ब्रेक लग गया है. इनका कहना हैबच्चों के अंदर कई बार प्रतिस्पर्धा की भावना आने से वह बेहतर करते हैं. आनेवाले समय में हर बच्चे को किसी-न-किसी प्रतियोगी परीक्षा में बैठना है. स्कूल स्तर पर उन्हें एक दिशा देने से निश्चित तौर पर लाभ मिलेगा.- डॉ वीएस मिश्रा, प्राचार्य केंद्रीय विद्यालय, गोपालगंज
स्कूली पढ़ाई संग बच्चों की मेधा को धार देने पर जोर
प्रतियोगी सोच बच्चों में लाने की पहलमल्टीपल च्वाइस बेस तैयार करफोटो-11संवाददाता, गोपालगंज इस समय के बच्चे यूं तो पहले काफी स्मार्ट हो गये हैं. स्मार्ट होते बच्चों की मेधा को धार देने के लिए स्कूल भी अपनी ओर से कई तरह के जतन करने लगे हैं. कुछ स्कूल जहां बच्चों की डायग्नोस्टिक जांच करके उनकी […]
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