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कृषि वैज्ञानिकों की टीम ने की जांच
किसानों में फसल मुआवजे की उम्मीद जगी है. दुबारे हुई गेहूं की फसल जांच के बाद कृषि विभाग ने माना कि 90 से 100 फीसदी क्षति हुई है. जांच रिपोर्ट सौंपने के बाद फसल बीमा की राशि किसानों की दी जायेगी. इसके पूर्व हुए सर्व में सीओ ने 30 फीसदी क्षति की रिपोर्ट सौंपी थी. […]
किसानों में फसल मुआवजे की उम्मीद जगी है. दुबारे हुई गेहूं की फसल जांच के बाद कृषि विभाग ने माना कि 90 से 100 फीसदी क्षति हुई है. जांच रिपोर्ट सौंपने के बाद फसल बीमा की राशि किसानों की दी जायेगी. इसके पूर्व हुए सर्व में सीओ ने 30 फीसदी क्षति की रिपोर्ट सौंपी थी.
गोपालगंज : बेमौसम बारिश, ओला, आंधी ने इस बार किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है. कहीं किसानों की लहलहाती गेहूं फसल में दाना नहीं आया, तो कहीं बालियों के काला होने से फसल बरबाद हो गयी है. अब कृषि विभाग ने भी माना है कि गेहूं की फसलों में दाना नहीं आया है. 90-100 फीसदी तक की फसल क्षति होने की संभावना कृषि विभाग अब जताने लगा है.
जिला कृषि पदाधिकारी डॉ रवींद्र सिंह के साथ सहायक निदेशक पौधा संरक्षण सत्येंद्र कुमार सिंह आदि की टीम ने शनिवार को कुचायकोट प्रखंड के भोजछापर, रमजीता समेत प्रखंड के कई इलाकों में गेहूं की बालियों की जांच की. जांच में एक भी दाना नहीं पाया गया. इससे पहले सिपाया कृषि केंद्र के वैज्ञानिक डॉ राजेंद्र प्रसाद के नेतृत्व में कृषि वैज्ञानिकों की टीम ने बरौली प्रखंड के बतरदेह दियारा में दो दर्जन किसानों की फसल की जांच की थी. कृषि वैज्ञानिकों ने पाया था कि 90-100 फीसदी तक गेहूं की बालियों में दाना नहीं है. यह स्थिति पूरे जिले में बनी हुई है.
क्यों नहीं आया बालियों में दाना
गेहूं की बालियों में दाना नहीं आने के पीछे कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि फरवरी तथा मार्च के पहले सप्ताह में हुई बारिश के कारण बालियों में लगनेवाले पराग बूंदों की चोट से झड़ गये. पराग नहीं पलने से गेहूं की फसलों में दाना नहीं आया. जिसमें परागण हुआ उसमें भी फुफुंद नामक कीट के कारण दाना ही नहीं आया. प्राकृतिक आपदा की श्रेणी में यह मामला भी आता है.
सीओ की रिपोर्ट झूठी साबित
कृषि विभाग सरकार के निर्देश के अनुरूप काम कर रहा. सरकार का आदेश था कि 30 मार्च के बाद हुई बारिश और ओले में क्षति हुई गेहूं की फसलों का आकलन कराया जाये. विभाग ने क्षति का आकलन करते हुए लगभग 25 प्रतिशत क्षति की बात कही थी. अब गेहूं में दाना नहीं आने के मामले में सरकारी स्तर पर कोई आदेश नहीं आया है.
सीओ की तरफ से दी गयी क्षति की रिपोर्ट पूरी तरह से झूठी साबित हो गयी है.
हार्ट अटैक से किसान की हुई थी मौत
कटेया प्रखंड के खुरहुरिया गांव में कंबाइन मशीन से फसल कटवाने पहुंचे किसान रामाधार साह की हार्ट अटैक से मौत हो गयी थी.
गत मंगलवार को सुबह दस बजे अपने 3.5 बिगहा खेत में किसान गेहूं कटवाने गये थे. महज एक बोरा अनाज देख उन्हें गहरा सदमा लगा और मौके पर ही उनकी मौत हो गयी.
रंग लाया किसानों का अनशन
आखिरकार किसानों के अनशन-प्रदर्शन ने रंग लाया है. कृषि विभाग ने अब फसल में दाना नहीं लगने की बात को माना है.
बता दें कि एक-दो मार्च को हुई बारिश ने तबाही मचायी थी. गेहूं में बाली नहीं लगने के कारण आक्रोशित किसानों ने मांझा संघर्ष समिति के बैनर तले मुकेश राय तथा भगवानजी साहब की अध्यक्षता में धरना-प्रदर्शन किया. गुरुवार को किसान बरौली में अनशन पर बैठ गये. शुक्रवार को कृषि विभाग के अधिकारी ने जब जांच की तो अनशन तोड़ा गया.
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