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नि:स्वार्थ प्रेम से ही मिलेगी प्रभु की कृपा

-भागवत कथा में बरसी स्वामी निर्गुण महाराज की अमृतवाणी -संस्कृति की रक्षा पर दिया बलफोटो नं- 12संवाददाता, गोपालगंज प्रेम की वर्तमान परिभाषा ही बदल गयी है. आप सभी प्रेम पाना चाहते हो. प्रेम करना तो लोगों ने छोड़ ही दिया है. नतीजतन प्रभु तो क्या यहां अपने भी रिश्ते टूट रहे हैं. उक्त बातें भागवत […]

-भागवत कथा में बरसी स्वामी निर्गुण महाराज की अमृतवाणी -संस्कृति की रक्षा पर दिया बलफोटो नं- 12संवाददाता, गोपालगंज प्रेम की वर्तमान परिभाषा ही बदल गयी है. आप सभी प्रेम पाना चाहते हो. प्रेम करना तो लोगों ने छोड़ ही दिया है. नतीजतन प्रभु तो क्या यहां अपने भी रिश्ते टूट रहे हैं. उक्त बातें भागवत कथा के दौरान स्वामी निर्गुण महाराज ने सलेमपुर में कहीं. निर्गुण महाराज ने कृष्ण की बाल लीला का वर्णन करते हुए कहा, कृष्ण-राधा जैसे प्रेम की जरूरत है. नि:स्वार्थ प्रेम कीजिए, रिश्ते तो मजबूत रहेंगे ही, प्रभु की कृपा भी होगी. उन्होंने कहा कि दोस्ती करो पानी और दूध जैसी. स्वामी ने गोरक्षा करने तथा पंच गण्य के सेवन पर बल देते हुए कहा कि यह हमारी संस्कृति के मजबूत स्तंभ हैं जिससे समाज एवं शरीर को आध्यात्मिक, साइंसटिफिक एवं बल मिलता है और और पर्यावरण भी जाग उठता है. बच्चों को ऐसी शिक्षा दी जाये, ताकि वे संस्कार को अक्षुण्ण रखते हुए बुढ़ापे में मां-बाप का सहारा बने. भागवत कथा के चौथे दिन श्रद्धालु नर-नारियों की भीड़ संत वाणी और गोविंद की बाल लीला के वर्णन से आत्मविभोर रहा.

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