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थावे महोत्सव : जिले के कलाकारों ने रचा इतिहास

बांसुरी वादन से बिहार गीत तक रहा महोत्सव का आकर्षणचैता से लेकर ठुमरी तक की हुई सराहनीय प्रस्तुतिकलाकारों ने अपनी प्रतिभा से महोत्सव में भरा रंगफोटो-13,14संवाददाता, थावेहोमगार्ड का मैदान दर्शकों से खचा खच भरा था. थावे महोत्सव की शुरुआत महर्षि अनिल शास्त्री के बांसुरी वादन से हुई, जबकि अंत बिहार के प्रमुख कलाकार सत्येंद्र कुमार […]

बांसुरी वादन से बिहार गीत तक रहा महोत्सव का आकर्षणचैता से लेकर ठुमरी तक की हुई सराहनीय प्रस्तुतिकलाकारों ने अपनी प्रतिभा से महोत्सव में भरा रंगफोटो-13,14संवाददाता, थावेहोमगार्ड का मैदान दर्शकों से खचा खच भरा था. थावे महोत्सव की शुरुआत महर्षि अनिल शास्त्री के बांसुरी वादन से हुई, जबकि अंत बिहार के प्रमुख कलाकार सत्येंद्र कुमार संगीत के बिहार गीत से हुआ. सत्येंद्र कुमार ने बिहार मंे विलुप्त हो रही संस्कृति, समृद्ध हो रही सभ्यता को गीत के माध्यम से बचाने की अपील की. इस दौरान सत्येंद्र ने ‘पूरब देश गइल मोरा सइयां घर-घर सब बतियावेला हो रामा…’ चैता प्रस्तुत कर दर्शकों को मुग्ध कर दिया. रुखसार अहमद ने सितार वादन, तो सोनू निगम ने लोक गीत प्रस्तुत कर भोजपुरी मिट्टी की महक का एहसास कराया. कृति कुंज ने मां भगवती पर आधारित भजन, कृष्ण कुमार ने गजल, प्रदीप दिवाकर ने सुगम संगीत, तो पिंटू पांडेय और उसके साथियों ने चैता की सराहनीय प्रस्तुति की. जबकि, चंदना सिंह के भजन, पल्लवी राज की नृत्य तथा निशा मनीष और उसके साथी की चैती गीत ने सबों को झूमा दिया. वहीं, रमेश चंद्र श्रीवास्तव अधिवक्ता ने लोक गीत प्रस्तुत किया, तो सुरभि, शिवानी और उसके साथियों ने पचरा तथा राजेश मिश्रा और उसके साथियों ने कव्वाली प्रस्तुत कर थावे महोत्सव में चार चांद लगा दिया.

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