गोपालगंजः भैया मेरे, हेलमेट के बंधन को न भुलाना. आज बहन अपने भाई से यह छोटी-सी मांग इस रक्षाबंधन के मौके पर तोहफे के रूप में मांग रही है. ये वैसी बहनें हैं, जिनको अपने भाई के या तो खोने का गम है या हेलमेट के अभाव में जीवन और मौत को देख चुकी है. ये बहनें, हर भाई को अब बिना हेलमेट बाइक पर देखना नहीं चाहतीं. आप अगर भाई हैं, तो इस रक्षाबंधन के मौके पर संकल्प लें कि बिना हेलमेट बाइक पर नहीं बैठेंगे.
मंगलवार को सड़क हादसे में अपनों को खोने वाले कुछ परिवारों से संपर्ककरने पर पीड़ित बहनों का दर्द छलक पड़ा. उन्होंने कहा कि रक्षाबंधन से पहले वह यही कहना चाहेंगी कि अब किसी भाई की जान हेलमेट न लगाने के कारण न जाये. सड़क हादसों में कलेजे का टुकड़े को गंवाने वाले माता-पिता बोले, हमने तो अपना लाल खो दिया, पर और किसी का बेटा न बिछड़े, इसके लिए ट्रैफिक नियमों का सख्ती से पालन कराया जाना चाहिए. सड़क सुरक्षा और यातायात नियमों को लेकर प्रभात खबर के अभियान का स्कूलों और अभिभावकों में असर दिखने लगा है. छात्रों द्वारा बिना हेलमेट लगाये बेधड़क वाहन दौड़ाने, तीन सवारी बैठाने और बाइक पर जान जोखिम में डालने वाली स्टंटबाजी को लेकर उठाये गये सवालों ने तमाम लोगों को झकझोर दिया है.
हेलमेट होता, तो बच जाती जान
आकाश कुमार तीन अगस्त को अपने घर से गोपालगंज के लिए एनएच 28 पर चला था. सिरिसियां मोड़ के पास साइकिल सवार को बचाने के दौरान उसकी बाइक दुर्घटनाग्रस्त हो गयी. उसके सिर में चोट लगी. अस्पताल लाने से पहले ही उसने दम तोड़ दिया. उसने हेलमेट नहीं पहना था. भाई अविनाश व बहन प्रतिमा को इसी बात का गम है कि आकाश ने अगर हेलमेट पहना होता तो शायद उसकी जान बच जाती.
अस्पताल में नहीं होता नीरज
पिछले दिनों थावे के व्यवसायी नीरज कुमार सासामुसा से पैसा लेकर थावे जा रहे थे. सुंदरपट्टी गांव के पास पुल से मोटरसाइकिल टकरा गयी. इससे वे गंभीर रूप से घायल हो गये. घटना की सूचना पाकर परिजन घटनास्थल पर पहुंचे और उन्हें सदर अस्पताल लाया. हेलमेट नहीं पहनने के कारण सिर में गंभीर चोट लगी थी. डॉक्टरों ने उन्हें गोरखपुर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया. 3.5 लाख रुपये खर्च करने के बाद बड़ी मुश्किल से जान बची. नीरज की बहन रूपा श्रीवास्तव अपने भाइयों से रक्षाबंधन के इस मौके पर हेलमेट पहनने की मांग तोहफे के रूप में की है.
स्कूलों में चले अभियान
अजय ने अपने आंसू पोंछते हुए कहा कि हमने तो अपनी लाडली (बेटी) को खो दिया. लेकिन कोई और बेटी हादसे का शिकार न हो, इसके लिए दिल्ली, बेंगलुरू और चंडीगढ़ की तरह शहर में भी ट्रैफिक नियम लागू कर सख्ती से पालन कराया जाना चाहिए. बाइक से स्कूल आनेवाले छात्र-छात्रओं की निगरानी और उन्हें यातायात नियम समझाने के लिए पहल करनी होगी. जब तक आम लोग इसके प्रति जागरूक नहीं होंगे, तब तक नियम, कायदे-कानून और प्रशासन के लोग कुछ नहीं कर सकेंगे.