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भोरे में में मिनरल वाटर के नाम पर चल रहा गोरखधंधा

टीडीएस मानकों के अनुरूप नहीं है मिनरल वाटरभोरे में चल रहे कुल पांच पानी के प्लांटसंवाददाता, भोरे शुद्ध पेयजल की दरकार हर किसी को होती है. गत कुछ वर्षों में जिस तरह लोग पेट की बीमारियों में बढ़ोतरी हुई. पानी के कारण भोरे में जिस तरह लोग कैंसर से पीडि़त हो कर मौत के मंुह […]

टीडीएस मानकों के अनुरूप नहीं है मिनरल वाटरभोरे में चल रहे कुल पांच पानी के प्लांटसंवाददाता, भोरे शुद्ध पेयजल की दरकार हर किसी को होती है. गत कुछ वर्षों में जिस तरह लोग पेट की बीमारियों में बढ़ोतरी हुई. पानी के कारण भोरे में जिस तरह लोग कैंसर से पीडि़त हो कर मौत के मंुह में समाने लगे. इसके बाद शुद्ध पेयजल लोगों की मांग में शुमार हो गया. बता दें कि भोरे में करोड़ों की लागत से शुद्ध पेयजल के लिए पहले पाइप लाइन बिछायी गयी. बाद में जलमीनार का निर्माण भी हुआ. लेकिन इसे विडंबना ही कहेंगे कि जमीन के नीचे बिछाया गया पाइप सड़ गया लेकिन लोगों को शुद्ध पेयजल का एक बूंद नसीब नहीं हो सका. पानी टंकी में पानी का एक बूंद नहीं पहुंचा. लोगों का शुद्ध पेयजल का सपना बस सपना बन कर ही रह गया. ग्रामीण क्षेत्रों में जो लोग चापाकल का पानी पीते थे. उनके चापाकलों के पानी की जांच की गयी, तो पता चला कि उनके पानी का टीडीएस 700 से 1000 के बीच का है. मानकों के अनुरूप पानी की शुद्धता 20-40 टीडीएस की होनी चाहिए. भोरे में शुद्ध पेयजल के लिए पांच प्लांटों द्वारा पानी की सप्लाइ की जा रही है. लेकिन कुछेक को छोड़ अधिसंख्य प्लांट पानी के मानकों का ध्यान नहीं रख रहे. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि जेबें ढीली करने के बाद भी लोग शुद्ध पानी का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे.

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