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पान बेच कर बेटे को बना रहे इंजीनियर
बथनाकुटी : जब होश आया, तो अभाव और गरीबी के बीच परिवार पिस रहा था. परिवार के लोगों पर काफी बोझ था. जैसे-तैसे मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की. पैसे के अभाव में इंटर की पढ़ाई नहीं कर सका. रोटी की चिंता जीवन की सच्चई का एहसास करा रही थी. परिस्थितियों को देखते हुए दोस्तों से […]
बथनाकुटी : जब होश आया, तो अभाव और गरीबी के बीच परिवार पिस रहा था. परिवार के लोगों पर काफी बोझ था. जैसे-तैसे मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की. पैसे के अभाव में इंटर की पढ़ाई नहीं कर सका. रोटी की चिंता जीवन की सच्चई का एहसास करा रही थी. परिस्थितियों को देखते हुए दोस्तों से एक हजार रुपये उधार लिया. एक टूटी गुमटी में पान बेचने का फैसला किया. आज बेटे को इंजीनियर बना रहे हैं. बात हो रही है कुचायकोट थाना क्षेत्र के बथना के रहनेवाले संजय पांडेय की.
बथनाकुटी गंडक नहर के पुल के किनारे संजय पांडेय की एक छोटी-सी पान की गुमटी है. यह गुमटी 1985 में यहां रखी गयी थी. पान बेच कर परिवार को संभाला. जब स्थिति बदलने लगी, तो 1992 में पड़ोस के गांव भोभिचक की प्रमीला देवी से शादी हुई. पान की एक दुकान पर पूरे परिवार की रोटी टिकी हुई थी. इस बीच संजय पांडेय दो बेटों के पिता बन गये. बेटों को मंजिल तक पहुंचाने के लिए गरीबी को आड़े नहीं आने देने का फैसला किया.
पूरा किया सपना
पढ़ाई के दौरान पैसे के अभाव मेंखुद इंटर की पढ़ाई पूरी नहीं कर सका. लेकिन, अपने जीवन की झंझवतों से बेटों को दूर रखा. दिन-रात मेहनत कर बेटों की पढ़ाई के लायक पैसे बचाये. गोरखपुर में रख कर बेटा राहुल पांडेय को मैट्रिक और इंटर कराया. बेटे का सपना था कि वह इंजीनियर बने. यूपीटीयू की परीक्षा दी. काफी बेहतर रैंक लाया. ग्रेटर नोएडा के इएल बजाज मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी कॉलेज में काउंसेलिंग करायी.
नामांकन तो किसी तरह करा लिया. कॉलेज की फीस बड़ी मुश्किल से इकट्ठा कर पा रहा था. इतनी जमीन भी नहीं थी कि बेच कर बेटे की फीस जमा कर सके. इस बीच क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक बथनाकुटी के मैनेजर अजय कुमार श्रीवास्तव जब दुकान पर पान खाने पहुंचे, तो संजय पांडेय ने अपनी स्थिति बतायी. मैनेजर ने उन्हें शिक्षा ऋण आवंटित कर सपना में चार चांद लगा दिया.
एनडीए की तैयारी करना चाहता है दूसरा बेटा
संजय पांडेय का दूसरा बेटा नीतीश पांडेय एनडीए की तैयारी करना चाहता है. उसका सपना है कि वह सेना का अधिकारी बन कर देश की सेवा करे. वह जलालपुर स्थित एक निजी स्कूल में मैट्रिक की पढ़ाई कर रहा है. संजय पांडेय बीमार पत्नी को संभालने के बाद पान की दुकान को खोलते हैं और अपने परिश्रम और मेहनत की बदौलत अपने बच्चों को उच्च शिक्षा दिला कर समाज के लिए नजीर बना है, जबकि बथनाकुटी और आस-पास के इलाकों में कई वैध-अवैध कार्य उसे करोड़पति बना सकते थे.
दोस्त ने किया सहयोग
राहुल का जब दाखिला हो गया, तो अचानक उसके पेट में दर्द हुआ. जांच कराने पर पता चला कि किडनी में ब्लॉकेज आ रहा है. राहुल घर आ गया. परिजनों में मायूसी छा गयी. कर्ज लेकर इलाज कराने के लिए जब गांव के संपन्न लोगों से संपर्क किया, तो उन्होंने मुंह फेर लिये. इस बीच तीन साल के बाद अचानक दुबई में रहनेवाले गांव के मंजूर अंसारी ने फोन किया. दोस्त का फोन आते ही वह फफक पड़ा.
काफी संभलने के बाद स्थिति की जानकारी दी, तो मंजूर ने उन्हें अपने पटना स्थित घर पर बुला कर छात्र राहुल पांडेय की किडनी का ऑपरेशन अपने खर्च से कराया. बीमार होकर छह माह तक बेड पर रहने के बाद राहुल कॉलेज की परीक्षा में बैठा, तो 70 फीसदी से अधिक मार्क्स लाकर परिजनों के सपनों को साकार किया.
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