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इंडिया हिट, चाइना चित्त-संपा

चीनी पिचकारियों से भी सस्ती इंडियन पिचकारी बाजार पर इस बार इंडिया का कब्जाफोटो-4संवाददाता. गोपालगंज जिले के बाजार पर कुछ वषार्े से आधिपत्य जमाए ड्रैगन (चीन) इस बार चारों खाने चित्त होने जा रहा है. होली के मौके पर अब देश में बनी पिचकारियां कब्जा जमा रही है, जो न सिर्फ टिकाऊ बल्कि किफायती भी […]

चीनी पिचकारियों से भी सस्ती इंडियन पिचकारी बाजार पर इस बार इंडिया का कब्जाफोटो-4संवाददाता. गोपालगंज जिले के बाजार पर कुछ वषार्े से आधिपत्य जमाए ड्रैगन (चीन) इस बार चारों खाने चित्त होने जा रहा है. होली के मौके पर अब देश में बनी पिचकारियां कब्जा जमा रही है, जो न सिर्फ टिकाऊ बल्कि किफायती भी हैं. इसी का नतीजा है कि होली के बाजार पर चीन की हिस्सेदारी 70 फीसदी से घटकर 30 फीसदी पर सिमट गई है. हकीकत यही है कि चीनी आयटम को लेकर रु झान काफी घटने लगा है. कारोबारियों का कहना है कि होली के तमाम ऐसे आइटम हैं. डेढ़ दर्जन से अधिक स्थानीय पिचकारियों की वैरायटी है. चीन से यह मुकाबला नई तकनीक के बूते है. लोगों के जेहन में यह बात आम है कि चीनी सामान आकर्षक तो होते हैं, परंतु टिकाऊ नहीं होते. देशी कारोबारियों ने एक-से बढ़कर एक पिचकारी उतारी है. ये पिचकारियां चीनी पिचकारियों को मात दे रही है. इनके कीमत की बात करें तो ये चीनी पिचकारियों से भी सस्ती है तथा देशी सामान के टिकाऊ होने का भरोसा तो सदियों पुराना है.अप्पू की धार से रंगीन होगी होलीहोली पर इस बार बच्चों को अप्पू (हाथी) लुभाएगा. बटन दबाते ही अप्पू के सूंड़ से रंग निकल पड़ेगा. यह पिचकारी बच्चों को लुभा रही है. फुटकर विक्रेता राजू चाय भंडार के संचालक दिनेश कुमार बागौरिया बताते हैं कि अप्पू व शूशू पिचकारी की मांग अधिक है.हर्बल आइटमों की धूमरासायनिक चीजों के खतरों को देखते हुए अब ग्राहकों का रु ख हर्बल की ओर बढ़ता जा रहा है. होली पर भी इसका पूरा असर है. रंग के बजाय गुलाल की बिक्री अधिक हो रही है. गुलाल भी हर्बल वाला. इससे त्वचा को नुकसान नहीं होता.

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