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दिल दहला रहीं गंडक की लहरें, हालात बेकाबू

* खेत–खलिहान नदी में समा चुके, अब घर तोड़ कर ऊंचे स्थान पर जाने को लोग विवश ।। राजेश पांडेय ।। कुचायकोट :गंडक की लहरें दिल दहला रही हैं. मंगलवार की दोपहर की चिलचिलाती धूप में खड़े कटान की चपेट में आये गंडक के तटवर्ती मंहगू का पुरवा गांव के वाशिंदों का दिल गंडक का […]

* खेतखलिहान नदी में समा चुके, अब घर तोड़ कर ऊंचे स्थान पर जाने को लोग विवश

।। राजेश पांडेय ।।

कुचायकोट :गंडक की लहरें दिल दहला रही हैं. मंगलवार की दोपहर की चिलचिलाती धूप में खड़े कटान की चपेट में आये गंडक के तटवर्ती मंहगू का पुरवा गांव के वाशिंदों का दिल गंडक का रौद्र रूप दहला रहा था. कुचायकोट ग्राम पंचायत के कालामटिहिनिया निवासियों में बुजुर्गो ने भी जीवनदायिनी नदी का ऐसा विनाशकारी रूप पहली बार देखा.खेती पशुओं के पालन का उपयुक्त वातावरण उपलब्ध करानेवाली नदी इस बार तबाही का पैगाम लेकर आयी है. वर्षों की मशक्कत से जो आशियाना तैयार किया था वह नदी की धारा में गुम हो चुका है. खेतखलिहान भी नदी में समा चुके हैं.

* भगवान भरोसे छोड़ दिया गया

गांव में प्रशासन की तरफ से कोई बचाव का इंतजाम नहीं किया गया है.गांव को बचाने के लिए प्रशासन को त्वरित उपाय करना चाहिए अन्यथा पंचायत का वजूद ही खतरे में पड़ जायेगा.दुर्गा राय ने बताया कि सैकड़ों एकड़ फसल गंडक की गोद में समा गयी है. पशुओं के चारे का संकट उत्पन्न हो गया है.
अब
तक प्रशासन का कोई अधिकारी यहां का हाल जानने भी नहीं आया. गांव के रामदेव सिंह, चंद्रिका, रामकेवल, अशोक सिंह, राधेश्याम ने बताया कि लोगों को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है, उन लोगों को नहीं, जबकि जलभराव से उनकी फसलें डूब गयी है. गांव जाने के रास्ते पानी में डूबे हैं. उम विद्यालय चारों ओर से पानी में डूबा है. सभी संपर्क मार्ग कई जगह कट गया है.
भाजपा
नेता उमेश प्रधान ने गांववालों की पीड़ा के साथ प्रशासन की उदासीनता से अवगत कराते हैं. यही हाल टाड़ पर की है.उत्क्रमित मध्य विद्यालय काला मटिहिनिया भी नदी की कोख में समाने के कगार पर है.

* गांव पर बढ़ा खतरा

काला मटिहिनिया पंचायत के टाड़ पर गांव के सैंकड़ों घर पर नदी का कटाव तेज हो गया है. अगले 24 घंटे में यह गांव पूरी तरह से नदी में समा जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है.गांव के लोग अपने हाथों से उत्तर दिशा से अपने घरों को तोड़ रहे हैं. दक्षिण तरफ अपने सामान को समेट रहे हैं. गांव से निकलने के सारे मार्ग भंग हो चुके हैं.

* ट्रॉली बनी आशियाना

सड़क पर खड़ी एक ट्रॉली पूरे कुनबे का आशियाना बन गयी है. घर नदी की धारा में समा गया तो ट्रॉली के ऊपर पुराना छप्पर रख दिया और उसके भी चारपाई पर गृहस्थी सजा ली. स्टोव से खाना पका लिया और वहीं पर सो गये. यह दृश्य पूरे रास्ते में कई जगह दिखा.

* घरों में घुसा बाढ़ का पानी

सिधवलियात्नसिधवलिया प्रखंड के बंजरियां गांव के दर्जनों घरों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है. उन्हें अपने घरों में रहने और खाना बनाने में भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं, घरों के बच्चे के और पशुओं को भी घर से दूर सुरक्षित स्थलों पर ले जाना पड़ रहा है. बाढ़ की तबाही से गांव के एक दर्जन से अधिक घरों के लोग मुसीबत में हैं. लेकिन इन बाढ़पीड़ितों की खोज खबर लेने वाला कोई नहीं है.
ऐसे
में बाढ़पीड़ितों का गुस्सा स्थानीय जनप्रतिनिधियों और प्रशासन के अधिकारियों के प्रति बढ़ता जा रहा है. ग्रामीणों ने जहां स्थानीय मुखिया को घेर कर राहत की मांग कर रहे हैं. वहीं, सिधवलिया अंचल पदाधिकारी विष्णुदेव सिंह ने बाढ़ आने की खबर से अनभिज्ञता जाहिर की है. उन्होंने कहा है कि बाढ़ आने की कोई सूचना मुझे नहीं है.

* नहीं मिली रिपोर्ट

गोपालगंज : अब तक जिले के बाढ़ग्रस्त इलाकों के पीड़ितों की रिपोर्ट भी जिला प्रशासन को नहीं मिल पायी है. ऐसे में बाढ़पीड़ितों को राहत कहां से मिलेगी. भले ही बाढ़पीड़ितों को राहत देने के नाम पर रिपोर्ट नहीं मिलने की बात कह कर जिला प्रशासन के अधिकारी अपना पीछा छुड़ा लेते हैं.
लेकिन
पीड़ित परिवारों की सूची भी अंचल पदाधिकारी उपलब्ध नहीं करा रहे हैं. ऐसे में तो जिले के कुचायकोट, गोपालगंज, मांझा, सिधवलिया, बैकुंठपुर आदि अंचलों के अंचल पदाधिकारी अपनेअपने क्षेत्र में बाढ़पीड़ितों की सूची जिला प्रशासन को अब तक उपलब्ध नहीं करा सके हैं. ऐसे में अंचल पदाधिकारियों का टालमटोल बाढ़पीड़ितों के दर्द को बढ़ा रहा है.

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