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महज करकट के कमरा से शुरू हुआ सफरगोपालगंज. डीएवी बालिका उच्च विद्यालय का सफर महज एक करकट के एक कमरे से शुरू हुआ. 1995 में जब शिक्षकों ने छात्राओं को टीसी देकर स्कूल से बाहर करने का निर्णय लिया, तो विद्यालय के सचिव जगदीश नारायण आर्य काफी आहत हो उठे. उन्होंने करकटनुमा डीएवी स्कूल के […]

महज करकट के कमरा से शुरू हुआ सफरगोपालगंज. डीएवी बालिका उच्च विद्यालय का सफर महज एक करकट के एक कमरे से शुरू हुआ. 1995 में जब शिक्षकों ने छात्राओं को टीसी देकर स्कूल से बाहर करने का निर्णय लिया, तो विद्यालय के सचिव जगदीश नारायण आर्य काफी आहत हो उठे. उन्होंने करकटनुमा डीएवी स्कूल के एक कमरे में अलग छात्राओं के लिए क्लास की शुरुआत करा कर किराना दुकान से कमा कर रखे 10 लाख रुपये लगा कर कमरा बनाना शुरू कर दिया. आज तीन मंजिला भवन खड़ा हो चुका है. जगदीश नारायण आर्य बताते हैं कि महज 60 रुपये फीस छात्राओं से लेकर शिक्षकों के वेतनादि की व्यवस्था की जाती है. पैसा घटने पर प्रति माह 8-10 हजार रुपये मुझे देना पड़ता है.

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