मुमकिन नहीं हो पा रहा योजना के फायदे मिलना प्रीमियम पर भी नहीं हो पा रहा फैसला संवाददाता, गोपालगंज आम ग्राहकों के लिए मुफीद जन-धन योजना पहले ही मोरचे में फंस गयी है. छह महीने बीतने को हैं, पर अब तक बीमा को लेकर उलझन बना हुआ है. धड़ाधड़ खाते तो खुल गये, पर ब्योरा न दे पाने से मामला लटका हुआ है. खातों व लाभार्थियों की संख्या तय न होने से प्रीमियम पर भी फैसला नहीं हो पा रहा है. जिले में बैंकों ने करीब 69 हजार खाते खोले हैं. अगस्त से शुरू हुई योजना में दिसंबर बीतने को है, लेकिन अब तक 30,000 रु पये बीमा को लेकर उलझन बना हुआ है. किसी भी खाता धारक को इस योजना से नहीं जोड़ा जा सका है. इसके पीछे वजह खातों का ब्योरा न होना और लाभार्थियों की संख्या तय न किया जाना है. बैंक के उच्च अधिकारी के मुताबिक छह महीने तक नियमित संचालन की भी बाध्यता बीमा समेत अन्य सुविधाएं देने में है. अभी तक पहले चक्र में खुले खातों के धारकों को कागजात तक ठीक ढंग से नहीं मिल सके हैं. इसलिए पहले मोरचे पर योजना के फायदे मिलना मुमकिन नहीं हो पा रहा है. नेशनल फेडरेशन ऑफ बैंक इंप्लाइज एसोसिएशन के सुशील श्रीवास्तव कहते हैं, मार्च तक ब्योरा एकत्रित करने के बाद ही इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाया जा सकेगा.एटीएम में भी उलझनजन-धन खाता धारकों को रूपे कार्ड मिल तो रहे हैं, लेकिन इनके इस्तेमाल में भी उलझन तय है. एसबीआइ समेत कई बैंकों ने एटीएम निकासी की सीमाएं बांध दी है. इससे इन खाता धारकों को परेशानी होगी.यह भी समस्या की वजह-लाभार्थियों की संख्या तय न हो पाना-खातों के मुखिया पहचानने में दिक्कत-परिवार में सिर्फएक व्यक्ति को ही फायदा-प्रीमियम निर्धारण में हो रही देरी
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जन-धन के खातों में बीमा पर उलझन
मुमकिन नहीं हो पा रहा योजना के फायदे मिलना प्रीमियम पर भी नहीं हो पा रहा फैसला संवाददाता, गोपालगंज आम ग्राहकों के लिए मुफीद जन-धन योजना पहले ही मोरचे में फंस गयी है. छह महीने बीतने को हैं, पर अब तक बीमा को लेकर उलझन बना हुआ है. धड़ाधड़ खाते तो खुल गये, पर ब्योरा […]
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