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रोजगार के अभाव में भूखे कट रही जिंदगी

गोपालगंज : यहां रोजगार के अभाव में श्रमिकों की जिंदगी भूखे कट रही है .भले ही सरकार ने लोगों को रोटी की तलाश में दूसरे प्रदेशों में पलायन को रोकने के लिए माहात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना लागू की, लेकिन अब भी यह योजना अपने उद्देश्य को पूरा नहीं कर पा रही है. नतीजा यह […]

गोपालगंज : यहां रोजगार के अभाव में श्रमिकों की जिंदगी भूखे कट रही है .भले ही सरकार ने लोगों को रोटी की तलाश में दूसरे प्रदेशों में पलायन को रोकने के लिए माहात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना लागू की, लेकिन अब भी यह योजना अपने उद्देश्य को पूरा नहीं कर पा रही है.

नतीजा यह है कि ग्रामीण इलाकों के वैसे मजदूर, जो काम की तलाश में रहते है. उन्हें विवश होकर दूसरे प्रदेशों की ओर पलायन करना पड़ता है. ऐसे तो सरकार ने एक साल में सौ दिन का रोजगार मुहैया कराने की दावा कर रही है, लेकिन इसके बाद भी यह योजना धरातल पर सफल नजर आ रही है.

जिले में मनरेगा श्रमिकों के लिए वित्तीय वर्ष 2013-14 में 12.30 लाख मानव दिवस सृजन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जबकि तीन माह बीतने के बाद भी जिले के सभी प्रखंडों में 3.04 लाख मानव दिवस सृजित किये गये हैं, जो अपने लक्ष्य का 24.72 प्रतिशत है.

ऐसे में जिले के सभी जॉब कार्डधारी श्रमिकों 100 दिन का रोजगार कैसे उपलब्ध कराया जायेगा, यह प्रशासन के समक्ष एक यक्ष प्रश्न बना हुआ है.वहीं जिले के मनरेगा श्रमिक भी रोजगार नहीं मिलने के अभाव में भूखे जिंदगी काटने को विवश हैं.

महिला श्रमिक है उपेक्षित

मनरेगा योजना के तहत मनरेगा श्रमिक महिलाओं को भी 33 प्रतिशत काम दिया जाना है, लेकिन विभाग की लापरवाही के कारण लक्ष्य से काफी कम मानव दिवस का सृजन किया गया है.ऐसे में इस वित्तीय वर्ष में महिला श्रमिकों को भी रोजगार मिलने में काफी परेशानी हो रही है.

ऐसे में मनरेगा जैसे महत्वपूर्ण व कल्याणकारी योजना के संचालित होने के बाद भी महिला श्रमिक अपने को उपेक्षित महसूस कर रही है.

मात्र 24 प्रतिशत मिली उपलब्धि

मनरेगा योजना के तहत मानव दिवस सृजन करने में जिले को मात्र 24 प्रतिशत की उपलब्धि भी प्राप्त हो सकी है. इस योजना के तहत 12.30 लाख मानव दिवस का सृजन किया जाना था, लेकिन अब तक लक्ष्य के विरुद्ध मात्र 3.04 लाख मानव दिवस ही सृजित किये गये हैं,जो कि लक्ष्य के अनुपात में काफी कम है. ऐसे में मनरेगा श्रमिकों का मुंह भी इस योजना से भंग होने लगा है और वे रोटी की तलाश में घर छोड़ कर दूसरे प्रदेशों में जाने को विवश हो गये हैं.

भोरे बेहतर तो हथुआ बदतर

मनरेगा योजना के तहत श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए मानव दिवस सृजन के मामले में भोरे में जहां 89हजार 400 के लक्ष्य में 74 हजार 205 मानव दिवस का सृजन करके 83 प्रतिशत की उपलब्धि हासिल कर जिले के सभी प्रखंडों में बेहतर स्थिति बनाये हुए है. वहीं हथुआ में 1 लाख 15 हजार 700 लक्ष्य के विरुद्ध 2964 मानव दिवस का सृजन कर मात्र 2.56 प्रतिशत का उपलब्धि हासिल की है, जो पूरे जिले के सभी प्रखंडों से बदतर स्थिति में है.

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