पछिया हवा के कारण शाम होते ही बढ़ी ठंड और कनकनी
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सूर्य के तेवर देख शर्मा गयी सर्दी, शाम में फिर बढ़ी ठंड
पछिया हवा के कारण शाम होते ही बढ़ी ठंड और कनकनी गोपालगंज : सूर्यदेव की लालिमा के साथ 40 दिन बाद सबेरा हुआ. सूर्य जब निकले और उनकी किरणों ने धरती पर अपनी चमक बिखेरी तो एकाएक सर्दी शर्मा गयी. दिन के समय ऐसा लगने लगा मानो सर्दी गायब हो गयी, लेकिन शाम को सूर्यास्त […]
गोपालगंज : सूर्यदेव की लालिमा के साथ 40 दिन बाद सबेरा हुआ. सूर्य जब निकले और उनकी किरणों ने धरती पर अपनी चमक बिखेरी तो एकाएक सर्दी शर्मा गयी. दिन के समय ऐसा लगने लगा मानो सर्दी गायब हो गयी, लेकिन शाम को सूर्यास्त होने के साथ सर्दी ने फिर तेवर दिखाने शुरू कर दिये. दिन में तो लोग शरीर से गर्म कपड़े तक हटाने लगे. सूर्य के दर्शन से भी लोग राहत महसूस कर रहे हैं. दोपहर में धूप निकलते ही छत पर गर्माहट के लिए लोग निकल पड़े. कपड़ा सूखाने के लिए ठंड के मौसम में छत सहारा रहता है.
पिछले 15 दिसंबर से जनजीवन को प्रभावित कर रहा सर्द मौसम के बदलाव से बच्चे भी अब घर से बाहर निकल रहे हैं. बसंत के उत्सवी माहौल जैसा नजारा धूप निकलने के बाद सड़कों पर दिखायी दे रहा है. बाजार में चहल-पहल शुरू हो गयी है. स्कूलों में छात्रों की संख्या भी बढ़ गयी. मां सरस्वती की विदाई के साथ ही बसंत के आगमन से मौसम में बदलाव के संकेत मिले. शाम ढलते ही सर्द हवा के बीच ठंड बरकरार है.
14.3 किमी की रफ्तार से चली पछिया हवा : लंबे समय से ठंड व शीतलहर के कारण जनजीवन परेशान था. सूर्यदेव की चमक से लोगों को दिन में सर्दी से राहत मिली. अधिकतम तापमान 16.9 डिग्री सेल्सियस से बढ़कर 20.2 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया. इसके बावजूद तापमान सामान्य की तुलना में करीब दो डिग्री कम था. वहीं, न्यूनतम तापमान 8.8 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया. पछिया हवा 14.3 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही थी. इससे रात में ठंड गलन का एहसास करा रही है. आर्द्रता का स्तर लगभग 90 से 95 फीसदी व दोपहर में 50 से 55 फीसदी के बीच रहा. इससे सिहरन वाली ठंड जारी रहेगी.
पश्चिमी विक्षोभ से बदलेगा मौसम : मौसम विशेषज्ञ डॉ एसएन पांडेय ने बताया कि ठंड बढ़ने की वजह उत्तर बिहार समेत पूर्वी उत्तर प्रदेश के ऊपरी वायुमंडल में चक्रवातीय हवाओं के क्षेत्र का बनना है. इसके अलावा उत्तर पश्चिम भारत के ऊपरी वायुमंडल में पश्चिमी विक्षोभ का प्रभाव बना हुआ है. इसके चलते साइबेरिया से चल रही हवाएं पश्चिमोत्तर भारत से होकर मैदानी भागों में पहुंच रही है, जिससे पाला पड़ने की संभावना बन रही है.
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