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गर्भवती महिलाओं को लू से बचना जरूरी, गर्भस्थ शिशु को हो सकता है खतरा

जिला का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस पहुंच चुका है. गर्मी में तेज धूप और गर्म हवा से बचना जरूरी है. सही खान-पान व बचाव ऐसे मौसम के लिए आवश्यक है. गर्मी के बढ़ने से हमारे शरीर से बड़ी मात्रा में पसीना निकलता है और पानी की कमी हो जाती है. पसीना के माध्यम से शरीर में मौजूद आवश्यक पदार्थ इलेक्ट्रोलाइट की कमी हो जाती है.

गया : जिला का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस पहुंच चुका है. गर्मी में तेज धूप और गर्म हवा से बचना जरूरी है. सही खान-पान व बचाव ऐसे मौसम के लिए आवश्यक है. गर्मी के बढ़ने से हमारे शरीर से बड़ी मात्रा में पसीना निकलता है और पानी की कमी हो जाती है. पसीना के माध्यम से शरीर में मौजूद आवश्यक पदार्थ इलेक्ट्रोलाइट की कमी हो जाती है. इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन के कारण गंभीर दस्त व उल्टी होने लगती है. इस मौसम में गर्भवती महिलाओं व नवजात शिशुओं के पोषण का विशेष ध्यान रखना चाहिए, ताकि गर्मी के असर को कम किया जा सके. गर्भवती महिलाओं के लिए इस मौसम में सेहत के प्रति थोड़ी सी चूक भारी पड़ सकती है. गर्भवती को लू लगने का असर गर्भस्थ शिशु पर भी पड़ता है.

गर्भवती महिलाएं खाली पेट बिल्कुल नहीं रहें. ऐसे मौसम में लू से बचने के लिए पोषक तत्वों व हरी साग सब्जियों के अलावा प्रचुर मात्रा में मौसमी फल व पानी का सेवन जरूर करें. प्रसव पूर्व जांच आदि के लिए घर से बाहर निकलने के दौरान नींबू पानी, इलेक्ट्रॉल व ओआरएस घोल आदि पी कर निकलें. गर्भवती महिलाओं को इस मौसम में बहुत ज्यादा तला भुना व मसालेदार खाना नहीं खाना चाहिए. ऐसे भोजन पचने में बहुत अधिक समय लेते हैं ये पेट में गर्मी भी पैदा करते हैं. गर्मी में हल्का आहार लें ताकि यह आसानी से पच सके. गर्भवती महिलाओं के लिए सत्तू व पुदीना का शरबत पीना लाभदायक होता है. इसके अलावा दही का सेवन करें. गर्भवती महिलाएं कम से कम आठ घंटे की नींद अवश्य लें.

छह माह के शिशुओं के लिए सिर्फ स्तनपान है जरूरीयदि घर में छह माह तक के शिशु है तो उसे केवल स्तनपान ही कराएं. उपर से किसी भी तरह का कोई तरल या ठोस आहार नहीं दें. यहां तक के पानी भी नहीं दें. शिशु को गर्मी के मौसम में अधिक से अधिक स्तनपान करा कर सुरक्षित रखा जा सकता है. बच्चे को लेकर धूप में निकलने से बचें और यदि बाहर जाने की बहुत आवश्यकता तो तौलिये व छाता का इस्तेमाल करें. शिशु को सूती कपड़े पहनाए. सिथेंटिक फाइबर जैसे नायलॉन, पॉलिस्टर व रेयान से बने कपड़ों का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करें. सूती कपड़े अधिक पसीना सोखते हैं ओर इससे शरीर सूखा रहता है. यदि शिशु की त्वचा गीली रहती है तो उसे घमौरी होने की संभावना बढ़ जाता है. शिशु को ठंडी व हवादार कमरे में रखें. ध्यान रखें कि उसे ऐसी कोई जगह पर नहीं रखें जहां पर गर्म हवा आती हो.

शरीर में डिहाइड्रेशन की ऐसे करें पहचान

  • – दिन में तीन बार से अधिक उल्टी व दस्त

  • – पेट में मरोड़ के साथ दस्त

  • – मुंह का अचानक सूखना

  • – अधिक नींद आना

  • – कमजोरी व थकान महसूस करना

  • – हाथ पैरों में कंपन होना

  • – भूख न लगना, बदन दर्द

  • – पेशाब में तकलीफ व धुंधला दिखना

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