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एइएस से फिर मरा बच्चा

गया : मगध मेडिकल कॉलेज-अस्पताल के शिशु रोग विभाग में शुक्रवार की देर रात एक्यूट इनसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (एइएस) से पीड़ित पांच वर्षीय बच्चे गोदाम कुमार की मौत इलाज के दौरान हो गयी. इससे पीड़ित दो अन्य बच्चों का इलाज जारी है. क्लिनिकल जांच में इन दोनों बच्चों के एइएस से पीड़ित होने की पुष्टि हुई […]

गया : मगध मेडिकल कॉलेज-अस्पताल के शिशु रोग विभाग में शुक्रवार की देर रात एक्यूट इनसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (एइएस) से पीड़ित पांच वर्षीय बच्चे गोदाम कुमार की मौत इलाज के दौरान हो गयी. इससे पीड़ित दो अन्य बच्चों का इलाज जारी है.

क्लिनिकल जांच में इन दोनों बच्चों के एइएस से पीड़ित होने की पुष्टि हुई है. इससे संबंधित रिपोर्ट विभाग के वरीय पदाधिकारियों को भी भेज दी गयी है. शिशु रोग विभाग के एक डॉक्टर ने बताया कि शुक्रवार को 11:30 बजे टिकारी थाने के मऊ बाजार निवासी दिनेश चौधरी ने अपने पांच वर्षीय बेटे गोदाम कुमार को अस्पताल में भरती कराया. इसके बाद क्षलज के दौरान देर रात उसकी मौत हो गयी.

उसे चिंताजनक स्थिति में अस्पताल लाया गया था. इमामगंज थाने के दुखदपुर गांव निवासी मिथलेश यादव की पांच वर्षीया पुत्री प्रियंका कुमारी 22 मई से भरती है. इसी प्रकार औरंगाबाद जिले के ओबरा प्रखंड के चंदा गांव निवासी रामाशीष मांझी का पुत्र कालू कुमार 23 मई से भरती है. क्लिनिकल जांच में दोनों के एइएस से पीड़ित होने की पुष्टि हुई है.

गौरतलब है कि एक माह में एइएस से पीड़ित एक दर्जन से अधिक बच्चों को मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भरती किया जा चुका है. तीन की मौत हो चुकी है. जानकारी मिलने पर ‘प्रभात खबर’ ने पड़ताल शुरू की, तो पाया कि इस संबंध में काफी गोपनीयता बरती जा रही है. आंकड़े छुपाने के प्रयास किये जा रहे हैं.

21 मई के अंक में ‘जेइ व एइएस को लेकर विभाग गंभीर नहीं’ शीर्षक से प्रमुखता से छापी. इसमें आंकड़े छुपाने व पर्याप्त दवाएं उपलब्ध नहीं रहने का भी उल्लेख किया गया. पुन: 23 मई के अंक में मरीजों के नाम पते के साथ ‘अस्पताल में एइएस के तीन मरीज’ शीर्षक छपी. परिणामस्वरूप अस्पताल प्रशासन व स्वास्थ्य महकमा हरकत में आया.

24 मई को विभाग के वरीय अधिकारियों को प्रियंका व कालू की रिपोर्ट तो भेजी गयी. लेकिन, पूर्व में भरती किये गये एक दर्जन से अधिक की रिपोर्ट नहीं भेजी जा सकी है. इससे मृतक बच्चों के पीड़ित परिवार को सरकार की ओर से सहायतार्थ मिलनेवाले 50 हजार रुपये नहीं मिल पायेंगे. लोगों को संदेह है कि सरकार के दबाव में आंकड़े छुपाने के प्रयास किये जा रहे हैं.

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