बोधगया: मगध विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ एम इस्तेयाक ने कहा कि राज्य में शिक्षा की स्थिति दूसरे प्रदेशों से भिन्न है. शिक्षा ग्रहण के लिए बिहार से करोड़ों रुपये दूसरे प्रदेशों में जा रहे हैं, जबकि यहां काफी संख्या में शिक्षण संस्थान मौजूद हैं. कुलपति ने कहा कि आखिर ऐसी क्या बात है कि हमारे बच्चे दूसरे प्रदेशों के शिक्षकों से शिक्षा ग्रहण करने जाते हैं? यह हमारे ऊपर सवाल खड़ा करता है.
उन्होंने कहा, क्या यह नहीं हो सकता कि दूसरे प्रदेशों के विद्यार्थी यहां आकर शिक्षा ग्रहण करें? उन्होंने नालंदा विश्वविद्यालय का उदाहरण देते हुए कहा कि कभी हम विश्व गुरु थे. विदेशों से विद्यार्थी यहां आते थे. पर, आज हम शिक्षकों को यह सोचना होगा कि हमारी क्षमता में कहां कमी है. कुलपति सोमवार को एमयू के शिक्षा (बीएड) विभाग में ‘शिक्षा में इन्फॉरमेशन कम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी’ (आइसीटी) विषय पर आयोजित छह दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन के अवसर पर बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि कार्यशाला निश्चित रूप से विद्यार्थियों के लिए फायदेमंद होगी. विभिन्न सत्रों में कार्यशाला का समापन 22 फरवरी को होगा. समारोह को पूर्व निदेशक दूरस्थ शिक्षा विभाग, यूजीसी की मंजुलका श्रीवास्तव, इग्नू नयी दिल्ली से डॉ एके गावा व प्रति-कुलपति डॉ कृतेश्वर प्रसाद ने संबोधित किया. कार्यशाला का उद्घाटन कुलपति, प्रति-कुलपति सहित अन्य ने दीप प्रज्वलित कर किया. स्वागत भाषण शिक्षा विभाग के डीन डॉ इसराइल खां ने दिया. विषय प्रवेश डॉ पीके धल व संचालन शिक्षा विभाग के शिक्षक डॉ धनंजय धीरज ने किया. धन्यवाद ज्ञापन विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ डीके यादव ने दिया.
डॉ यादव ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता में निखार लाने के लिए आइसीटी की उपयोगिता बढ़ी है. इस कार्यशाला से शिक्षकों व विद्यार्थियों को लाभ मिलेगा. इस अवसर पर डीएसडब्ल्यू डॉ सीताराम सिंह, प्रोक्टर डॉ नंदकुमार यादव, कॉलेज निरीक्षक डॉ जयराम प्रसाद, प्रो केवी शर्मा व पीआरओ डॉ एमएस इसलाम सहित विभिन्न विभागों के डीन व विभागाध्यक्ष सहित शिक्षा विभाग के विद्यार्थी व शिक्षक मौजूद थे.