2009 में बिहार स्टेट चेस चैंपियनशिप के विजेता भी रह चुके हैं. कई अन्य प्रतियोगिताओं में भी बिहार के साथ-साथ अपने जिले व परिवार का नाम रोशन कर चुके हैं. प्रद्युम्न के पिता ने बताया कि दिव्यांग होने की वजह से उनके बेटे की पढ़ाई लखनऊ में दिव्यांगों के लिए बने स्कूल (डेफ एंड डम) से हुई. वहां पढ़ते-पढ़ते वह शतरंज के माहिर खिलाड़ी हो गये.
परिवार के सहयोग से उन्होंने राज्य स्तर पर खेलना शुरू किया. बाद में कई अन्य संस्थानों के लिए भी उन्होंने शतरंज खेला. 2010 में उन्हें चेन्नई में नेशनल चैंपियनशिप में खेलने का मौका प्राप्त हुआ. इसके बाद राज्य स्तर पर कई प्रतियोगिताओं में भाग लिया व उत्कृष्ट प्रदर्शन किया.