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बांकेबिहारी की देख छटा, मेरे मन हे गया लटापटा…

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर पालने में झूले घनश्याम, महिलाआें ने मंगलगान बधाइयां व लाेरियां गायीं, किया गया दुग्धाभिषेक भी गया : शहर में गुरुवार काे धार्मिक माहाैल था. राधा-कृष्ण मंदिराें के पास सुबह से ही लाेगाें की भाग-दाैड़ हाे रही थी. घर की महिलाएं, लड़कियां, युवतियां व पुरुष भी बिना अन्न-जल ग्रहण किये उपवास पर रहे. […]

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर पालने में झूले घनश्याम, महिलाआें ने मंगलगान बधाइयां व लाेरियां गायीं, किया गया दुग्धाभिषेक भी
गया : शहर में गुरुवार काे धार्मिक माहाैल था. राधा-कृष्ण मंदिराें के पास सुबह से ही लाेगाें की भाग-दाैड़ हाे रही थी. घर की महिलाएं, लड़कियां, युवतियां व पुरुष भी बिना अन्न-जल ग्रहण किये उपवास पर रहे. शाम हाेते ही मंदिराें के पास लाेगाें की आवाजाही आैर बढ़ गयी.
गाैड़ीय मठ में उषा कीर्तन के बाद मंदिर परिक्रमा करने के बाद बाजे-गाजे के साथ भजन-कीर्तन करते नगर संकीर्तन पर निकले. गाैड़ीय मठ से निकलकर विष्णुपद मंदिर आैर वहां से फिर गाैड़ीय मठ. शाम काे विष्णुपद मंदिर के पास कृष्ण-द्वारिका मंदिर में श्रद्धालुआें की अपार भीड़ जुटी. महिलाएं मंगल गान, बधाइयां गा रहीं थीं. ‘बांके बिहारी की देख छटा, मेरे मन हे गयाे लटापटा…’ सहित अन्य पारंपरिक गीत गायी जा रहीं थीं. भजन-कीर्तन आधी रात तक चला. आधी रात में भगवान श्रीकृष्ण ने अवतार लिया. उन्हें स्नान कराया गया. दुग्धाभिषेक के बाद नये कपड़े पहनाये गये.
झूले पर झुलाया गया आैर महिलाआें ने लाेरियां गायीं. भगवान काे पानीफल (सिंघाड़े) का हलवा, केला सहित अन्य फल, धनिया व शक्कर मिश्रित चूर्ण व पंचामृत प्रसाद स्वरूप महाभाेग लगाया गया. मंदिर में घंटे व शंख बजने लगे. इसके बाद लाेगाें के बीच प्रसाद का वितरण किया गया.
उधर, श्रीगाैड़ीय मठ में भी महिलाएं भजन-कीर्तन में जुटी रहीं. संध्या आरती के बाद रात साढ़े 10 बजे से एक बजे तक भगवान के मंदिर का पट बंद हाे गया. भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के बाद उत्सव मनाया गया. महाभिषेक, राज श्रृंगार के बाद भाेगराग लगाये गये. प्रसाद का वितरण उपस्थित लाेगाें के बीच किया गया. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के माैके पर मंदिर की सजावट की शाेभा देखने लायक थी.
शहर के पुरानी गाेदाम स्थित पाैराणिक राधा-कृष्ण मंदिर में गया जिला अखबार विक्रेता संघ व अन्य लाेगाें ने पूजा-अर्चना की. रात में भगवान का जन्माेत्सव हुआ. लाेगाें ने खूब भजन-कीर्तन किया. भगवान का अभिषेक व महाप्रसाद चढ़ाने के बाद प्रसाद का श्रद्धालुआें में वितरण भी किया गया. महावीर स्थान स्थित राधा-कृष्ण मंदिर, नूतन नगर मुहल्ला स्थित राधा-कृष्ण मंदिर व नई गाेदाम स्थित राधा-कृष्ण मंदिर के अलावा विष्णुपद मंदिर में भी काफी भीड़-भाड़ देखी गयी. आधी रात में भगवान के जन्म के बाद उपवास पर रहे श्रद्धालुआें ने प्रसाद व पंचामृत चढ़ाया. भाेग का प्रसाद ग्रहण किया. इसके बाद महाआरती के बाद पूजन का कार्य संपन्न हुआ.
गांधी मैदान में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महाेत्सव आयाेजन समिति की आेर से खूबसूरत व आकर्षक मंच बनाकर भगवान श्रीकृष्ण काे झूले पर झुलाया गया. पूजा-अर्चना के साथ मथुरा से आयीं चर्चित गायिका सुमित्रा नटराजन ने एक से बढ़कर एक गीत प्रस्तुत किये. इस माैके पर मंत्री, विधायक समेत अन्य नेतागण भी शामिल हुए.
सांस्कृतिक कार्यक्रम में दही-हांडी का सीन भी प्रस्तुत किया गया. मंच के बैकग्राउंड में मथुरा नरेश कंस के कारागृह में बहन देवकी-वसुदेव काे दर्शाया गया था. श्रीकृष्ण के जन्म के बाद यमुना पार कर टाेकरी में भगवान श्रीकृष्ण काे व नंदगांव में राजा नंद व यशाेदा का दृश्य बड़ा ही मनभावन था.
कलशयात्रा के साथ श्रीमद्भागवत सप्ताह भक्ति ज्ञान यज्ञ शुरू
गया. शहीद राेड स्थित पेट्राेल पंप के सामने श्री गाेपाल मंदिर में गुरुवार से श्रीमद्भागवत सप्ताह भक्ति ज्ञान यज्ञ, कलशयात्रा के साथ शुरू हुआ. यज्ञ का समापन एक सितंबर काे हाेगा. गुरुवार की सुबह नाै बजे गाेलपत्थर स्थित हनुमान मंदिर से शाेभा यात्रा निकाली गयी. शाेभा यात्रा में शामिल महिलाएं व अन्य श्रद्धालु सूर्यकुंड गये व वहां से जलभरी कर विभिन्न मुख्य मार्गाें से गुजरते हुए शहीद राेड स्थित श्रीगाेपाल मंदिर कैंपस पहुंचे. यज्ञ स्थल पर श्रीधाम वृंदावन के आचार्य पीठ यदुनंदनाचार्यजी महाराज के आचार्यत्व में मुख्य यजमान श्रीकृष्णा मिष्ठान भंडार के जीवन शर्मा व दीवाकर शर्मा ने वैदिक मंत्राेच्चार के बीच विधि-विधान पूर्वक कलश स्थापित किया. गणपति की आराधना व पूजा की गयी. दाेपहर बाद दाे बजे से पांच बजे तक स्वामी श्रीयदुनंदनाचार्यजी महाराज ने श्रीमद्भागवत कथा आरंभ की. हर राेज दाे बजे से पांच बजे तक कथावाचन चलेगा.

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