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स्कूली बच्चों में बढ़ा आरएचडी का खतरा, खराश से फैल रहे जीवाणु

गया: जिले के सरकारी स्कूलों के बच्चों में रुमैटिक हृदय रोग (आरएचडी) का खुलासा हुआ है. इस बीमारी से बच्चों के हृदय का वॉल्व डैमेज होने की बात सामने आ रही है. इस बात का खुलासा एम्स के चिकित्सकों द्वारा किये गये एक अध्ययन में हुआ है. उल्लेखनीय है कि एम्स के डॉक्टरों ने विगत […]

गया: जिले के सरकारी स्कूलों के बच्चों में रुमैटिक हृदय रोग (आरएचडी) का खुलासा हुआ है. इस बीमारी से बच्चों के हृदय का वॉल्व डैमेज होने की बात सामने आ रही है. इस बात का खुलासा एम्स के चिकित्सकों द्वारा किये गये एक अध्ययन में हुआ है. उल्लेखनीय है कि एम्स के डॉक्टरों ने विगत महीने मध्य प्रदेश व बिहार के गया जिले में इस बीमारी का अध्ययन किया था. अध्ययन के अनुसार, गया जिले में आरएचडी के लक्षण बच्चों में पाये गये.

उनकी रिपोर्ट पर केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय एक्शन में आया और जिला प्रशासन को बीमारी के बारे मेें अवगत कराया गया. हालांकि, इस बीमारी के लक्षण 1000 बच्चों में से एक बच्चे में मिले हैं, लेकिन बीमारी के संक्रामक होने की बात कही गयी है. इस बीमारी के लक्षण पांच से 15 साल के बच्चों में भी अधिक पाये गये हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि आमतौर पर रुमैटिक हृदय रोग एक बच्चे से दूसरे में नहीं फैलता है, लेकिन बैक्टीरिया से उत्पन्न गले की खराश एक से दूसरे बच्चे को फैल सकती है.

चिकित्सकों की रिपोर्ट पर जिला प्रशासन अलर्ट
एम्स के चिकित्सकों की रिपोर्ट के आधार पर जिला प्रशासन सजग हो गया है. पायलट प्रोजेक्ट के तहत इस बीमारी की रोकथाम व शिक्षकों व अभिभावकों को बीमारी के प्रति जागरूक करने के लिए अभियान चलाने को कहा गया है. इसके तहत गुरुगोष्ठी में बीमारी के लक्षण व बचाव के बारे में जानकारी देने की बात कही गयी है.
बीते दिनों डीएम रवि कुमार की अध्यक्षता में शिक्षा विभाग की बैठक में इस रोग की रोकथाम के लिए कड़े निर्देश दिये हैं. उन्होंने पायलट प्रोजेक्ट के तहत रुमैटिक हृदय रोग की रोकथाम के लिए सभी को मिल कर काम करने को कहा है. केंद्र सरकार की ओर से जागरूकता संबंधी परचे शिक्षा विभाग को जारी कर दिये गये हैं.गले में खराशवाले बच्चों को छुट्टी देने का है आदेश
डीपीओ ठाकुर मनोरंजन प्रसाद ने बताया कि जिलाधिकारी की ओर से ठोस कदम उठाने आदेश दिये गये हैं. स्कूलों के प्रभारियों को कहा गया है कि जिन बच्चों के गले में खराश की शिकायत मिलती है, उन्हें तुरंत छुट्टी दें. साथ ही, उसके अभिभावकों को इलाज के लिए जागरूक करें.
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डाॅ सुरेंद्र चौधरी ने बताया कि पायलट प्रोजेक्ट के तहत इस विषय पर काम करने का आदेश हुआ है. शिक्षकों व अभिभावकों के बीच जागरूकता लाना जरूरी है.

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