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गया में एइएस की दस्तक तीन बच्चों की गयी जान

गया : मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एइएस से तीन बच्चों की मौत हो गयी. विगत 10 दिनों के भीतर इलाज के दौरान इस बीमारी ने तीनों बच्चों की जान ले ली. अस्पताल में अब तक एइएस के आठ संदिग्ध मामले आये हैं, जिनमें तीन बच्चों की मौत हो चुकी है. मरनेवाले बच्चों की पहचान […]

गया : मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एइएस से तीन बच्चों की मौत हो गयी. विगत 10 दिनों के भीतर इलाज के दौरान इस बीमारी ने तीनों बच्चों की जान ले ली. अस्पताल में अब तक एइएस के आठ संदिग्ध मामले आये हैं, जिनमें तीन बच्चों की मौत हो चुकी है. मरनेवाले बच्चों की पहचान हिसुआ-नवादा के दिनेश यादव के आठ साल के बेटे गौरव कुमार, वजीरगंज के सुनील कुमार के बेटे नंदू कुमार व चाकंद के संजय प्रसाद की बेटी मुस्कान कुमारी के रूप में हुई है.
इनके अलावा बाराचट्टी के प्रेमन मांझी की चार साल की बेटी सुहाना कुमारी की स्थिति गंभीर है. शिशु रोग विभाग में उसका जांच रिपोर्ट के बाद हुआ खुलासा उक्त तीनों बच्चों की मौत एइएस (एक्यूट इनसेफ्लाइटिस सिंड्रोम) से हुई है. जांच रिपोर्ट आने के बाद यह खुलासा हो सका है. हालांकि, इनमें से किसी के भी शरीर में जापानी इनसेफ्लाइटिस (जेइ) के लक्षण नहीं मिले हैं.
सभी की मौत एइएस से हुई है. भरती चार अन्य बच्चों की जांच करायी गयी है. अस्पताल प्रबंधन के मुताबिक, रिपोर्ट आने के बाद उनकी स्थिति स्पष्ट हो सकेगी. सूत्रों की मानें, तो पिछले साल जापानी इनसेफ्लाइटिस व एक्यूट इनसेफ्लाइटिस सिंड्रोम से कई बच्चों की हुई मौत के बाद राज्य भर में यह मामला जोर-शोर से गरमाया था.
हालांकि, इस बार अस्पताल प्रबंधन काफी सतर्क है. बिना जांच के किसी मरीज की स्थिति सार्वजनिक करने से अस्पताल प्रशासन परहेज कर रहा है. इन मामलों में मगध मेडिकल अस्पताल अधीक्षक डाॅ सुधीर कुमार सिन्हा ने बताया कि तीनों बच्चों की एइएस के केस में मौत हुई है. भरती आठ मरीजों भी में अभी जापानी इनसेफ्लाइटिस के लक्षण नहीं मिले हैं. उन्होंने कहा कि एइएस व जेइ के मामले माॅनसून के साथ ही नजर अाने लगते हैं. अस्पताल ने पहले से ही इसकी पूरी तैयारी कर रखी है. तमाम किट व दवाएं मौजूद हैं.
मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एइएस पीड़ित एक अन्य बच्ची का चल रहा इलाज अस्पताल अधीक्षक बोले-बीमारी से निबटने को तैयार, चार अन्य बच्चों की रिपोर्ट आने का इंतजार
2015 के आंकड़े
कुल 124 मामले आये.
15 मामले दूसरी बीमारी के थे.
कुल 25 मौतें हुईं.
इनमें आठ बच्चे जापानी इनसेफ्लाइटिस से पीड़ित थे.
17 मामले एइएस (एक्यूट इनसेफ्लाइटिस सिंड्रोम) के थे.

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