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सहकर्मी पर जबरन प्राथमिकी दर्ज कराने का विरोध डीड राइटरों ने खोला मोरचा

गया: जिला अवर निबंधक पदाधिकारी सुकुमार झा द्वारा डीड राइटर उमेश चंद्र सिन्हा पर जबरन प्राथमिकी दर्ज करवाने के विरोध में बिहार दस्तावेज नवीस संघ की गया शाखा ने पुलिस के खिलाफ मोरचा खोल दिया है. संघ के सदस्य गुरुवार को निबंधन कार्यालय के मुख्य दरवाजे के समीप धरने पर बैठ गये और गया पुलिस […]

गया: जिला अवर निबंधक पदाधिकारी सुकुमार झा द्वारा डीड राइटर उमेश चंद्र सिन्हा पर जबरन प्राथमिकी दर्ज करवाने के विरोध में बिहार दस्तावेज नवीस संघ की गया शाखा ने पुलिस के खिलाफ मोरचा खोल दिया है.

संघ के सदस्य गुरुवार को निबंधन कार्यालय के मुख्य दरवाजे के समीप धरने पर बैठ गये और गया पुलिस के खिलाफ नारेबाजी की. इस दौरान डीड राइटरों के समर्थन में मुद्रांक विक्रेता भी निजी कार्यालय बंद कर धरने पर बैठ गये. धरना के दौरान संघ ने गुरुवार से अगले तीन दिनों तक कलम बंद हड़ताल की घोषणा की है. बिहार दस्तावेज नवीस संघ के महामंत्री मुरारी कुमार सिन्हा, सचिव विनोद शर्मा, सह-सचिव नीरज कुमार सिन्हा व अजय कुमार अंबष्ठ, कार्यालय मंत्री रेवती रमन सिन्हा, सदस्य अविनाश कुमार, मोहम्मद इनामउद्दीन आदि ने धरना को संबोधित किया.

महामंत्री श्री सिन्हा ने कहा कि गया पुलिस के वरीय अधिकारियों ने गैर-कानूनी तरीके से डीड राइटर के विरुद्ध कार्रवाई की है. अगर पुलिस ने अपनी गलती स्वीकार कर डीड राइटर के साथ न्याय नहीं किया गया तो पुलिस पदाधिकारियों के विरुद्ध मान-हानि का मुकदमा किया जायेगा.

‘डीड राइटर को दलाल कहना बंद करे पुलिस’ : महामंत्री मुरारी कुमार सिन्हा ने कहा कि संबंधित विभाग द्वारा डीड राइटर को लाइसेंस दिया जाता है. बावजूद इसके डीड राइटर को पुलिस द्वारा ‘दलाल’ कहना उचित नहीं है. कोई भी व्यक्ति अपनी मरजी से डीड राइटर के पास जमीन व मकान की खरीद-बिक्री के लिए आता है. उन्होंने कहा कि एक डीड राइटर के निजी कार्यालय में स्वाभाविक है कि जमीनों से संबंधित कागजात रहेंगे. डीड राइटर उमेश चंद्र सिन्हा के निजी कार्यालय में भी वहीं कागजात थे. लेकिन, पुलिस पदाधिकारियों ने बरामद किये गये कागजात को गलत बता कर जिला अवर निबंधक पदाधिकारी से जबरन प्राथमिकी दर्ज करवायी.

सरकार के अंग हैं डीड राइटर : महामंत्री ने कहा कि सभी डीड राइटर सरकार के ही एक अंग हैं. निबंधन कार्यालय में ही बैठ कर डीड राइटर दस्तावेज लेखन करते हैं और उसके बदले में सरकार द्वारा निर्धारित पारिश्रमिक शुल्क जनता से ली जाती है. ऐसे में सरकार द्वारा ‘ऑपरेशन दलाल’ के नाम पर कार्रवाई करना पूरी तरह गलत है. उन्होंने कहा कि अगर कोई दलाल है तो पुलिस उस पर कार्रवाई करे.

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