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शहर में बने-बनाये मकानों की ओर लोगों का रुझान बढ़ा अपार्टमेंट कल्चर

गया: हाल के वर्षो में अपार्टमेंट कल्चर तेजी से बढ़ रहा है. शहर के लोग जमीन खरीद कर घर बनाने से ज्यादा अपार्टमेंट खरीदने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं. लोगों के इस रुझान ने शहर में इस व्यवसाय को तेज कर दिया है. कई कंस्ट्रक्शन कंपनियां इस क्षेत्र में काम कर रही हैं. अपार्टमेंट में […]

गया: हाल के वर्षो में अपार्टमेंट कल्चर तेजी से बढ़ रहा है. शहर के लोग जमीन खरीद कर घर बनाने से ज्यादा अपार्टमेंट खरीदने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं. लोगों के इस रुझान ने शहर में इस व्यवसाय को तेज कर दिया है.

कई कंस्ट्रक्शन कंपनियां इस क्षेत्र में काम कर रही हैं. अपार्टमेंट में रहनेवाले लोगों की मानें, तो अपार्टमेंट सुरक्षा की दृष्टि से अधिक महत्वपूर्ण है. साथ ही अब लोगों के पास समय भी तो नहीं कि पहले जमीन की खरीदारी करें, फिर उस पर घर बनायें. इसके लिए बजट भी अहम है. ऐसे में अपार्टमेंट में फ्लैट एक बेहतर विकल्प के रुप में सामने आ रहा है.

2001 से शुरू हुआ अपार्टमेंट का सफर
शहर में अपार्टमेंट का सफर बहुत अधिक पुराना भी नहीं है. लगभग 13 साल पहले 2001 में शहर को पहला आपार्टमेंट मिला था. सरकारी बस स्टैंड के पास ‘आनंद घराना’. उस वक्त यह शहर के लिए नया था. उच्च तबके के लोग आकर्षित हुए. समय बीता, जमीन की कीमत भी बढ़ी. लोगों के घर अब कमरों तक सिमटने लगे. सुविधाओं ने शहर के मध्यम वर्ग को भी फ्लैट की ओर आकर्षित करना शुरू किया. बिल्डरों को अपार्टमेंट उद्योग की दिशा मिली. फिर तो, शहर में एक के बाद एक कई अपार्टमेंट खड़े होने लगे.

कीमतों में भी हुई बढ़ोतरी
अपार्टमेंट व्यवसायी बताते हैं कि शुरुआती दौर में फ्लैट की कीमतें 450 से 500 रुपये वर्ग फिट हुआ करती थीं, जो आज की तारीख में बढ़ कर 1600 से 3000 वर्ग फिट और उससे अधिक हो गयी हैं. वे बताते हैं कि कीमतें बढ़ने के साथ साथ सुविधाओं में भी बड़े पैमाने पर इजाफा हुआ. पहले की तुलना में आज अधिक सुविधाएं मुहैया करायी जाती हैं. इन सब के अलावा लोगों का जीवन स्तर भी तो बढ़ा है, ऐसे में कीमतें तो बढ़ ही सकती हैं.

सुरक्षा अहम सवाल
लोग मानते हैं अपार्टमेंट में रहना सुरक्षा की दृष्टि से सबसे बेहतर है, क्योंकि यहां सुरक्षा के इंतजाम तो होते ही हैं, साथ ही आसपास लोगों का बड़ा समूह होने से भी सुरक्षा का भाव बना रहता है. मौजूदा दौर में लोग अपने कामकाज में अधिक व्यस्त होते हैं. महंगाई भी बड़ा कारक है. बना बनाया फ्लैट इन सभी परेशानियों से मुक्ति दिला देता है. गया में अपार्टमेंट बनाने का कामकाज कर रहे व्यवसायी भी इन बातों पर सहमति जताते हैं. उनका मानना है कि शहर की जमीन पर खेती भी होती है, ऐसे में जमीन की कमी हो सकती है. अब तो, अपार्टमेंट ही लोगों के पास अंतिम विकल्प बचता है. बैंकों ने भी लोगों की राह आसान कर दिये हैं, होम लोन देकर. उनके पास कई तरह के प्लान हैं, जिससे लोगों की सहूलियतहोती है.

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