गया: दूसरों को नैतिकता व शिष्टाचार की सीख देने वाले शिक्षकों को स्वयं नियमों का ज्ञान नहीं है. शहर में संचालित कई कोचिंग संस्थानों के पास पार्किग की कोई भी व्यवस्था नहीं है.
कोचिंग संचालक गली-मुहल्ले से लेकर मुख्य सड़क पर कहीं भी किराये के मकान में संस्थान चला रहे हैं. पार्किग नहीं होने से यहां पढ़ने वाले छात्र-छात्रओं को सड़क किनारे ही अपनी साइकिल और मोटरसाइकिल लगानी पड़ती है, जिससे सड़क पर जाम लग जाता है. वहीं, कुछ कोचिंग संस्थानों द्वारा छात्र-छात्रओं के वाहनों की सुरक्षा के लिए गार्ड भी रखे हुए हैं. बड़े-बड़े भवनों में चलने वाले इन संस्थानों ने निगम प्रशासन के लापरवाह रवैये का जम कर फायदा उठाया है. इसी का नतीजा है कि सड़क के किनारे साइकिलों की लंबी कतार लगना और सड़क का जाम होना.
डॉक्टर साहब भी पीछे नहीं
निगम प्रशासन की लापरवाही का फायदा उठाने में शहर के डॉक्टर भी पीछे नहीं है. शहर में कई जगहों पर आलीशन नर्सिग होम बने हुए हैं. इन भव्य भवनों में मरीजों के लिए अत्याधुनिक सुविधा मुहैया करायी गयी है. लेकिन, पार्किग के नाम पर कोई जगह निर्धारित नहीं है. मरीजों को देखने आये परिजनों को अपने वाहन सड़क पर ही खड़े करने पड़ते हैं, जो जाम का कारण बनते हैं.
पुलिस के लिए मुसीबत
इन भवन मालिकों की मनमानी और निगम प्रशासन की लापरवाही का सबसे अधिक खामियाजा पुलिस को भुगतना पड़ता है. अक्सर कोचिंग सेंटर,और नर्सिग होम के सामने से साइकिल और मोटरसाइकिल चोरी की घटना आम है. बावजूद इसके निगम प्रशासन इस मामले पर गंभीर नहीं दिखता. विभाग के कुछ अधिकारियों की मानें, तो बिल्डिंग बायलॉज के अनुसार, निगम प्रशासन को यह पूरा अधिकार है कि वह ऐसे बिना पार्किग वाले भवनों की जांच करें. और भवन मालिक और नक्शा पास करने वाले पर कार्रवाई करे.