60 दिन के पूरे फसल चक्र में एक बार निकौनी व 15 दिन पर सिंचाई की आवश्यकता होती है. इस क्रम में बीच-बीच में रासायनिक खाद डाला जाता है. भिंडी के पौधे में मुख्य रूप से कीट लगने की बीमारी होती है. इससे निजात पाने के लिए कीटनाशक दवा का छिड़काव किया जाता है.
किसानों ने बताया कि प्रति बिगहा 30 हजार की लागत पर कम-से-कम 60 हजार रुपये की आमदनी होती है, जो दाम पर निर्भर करता है. भिंडी की उपज प्रति बीघा दो क्विंटल होती है. तैयार फसल को स्थानीय बाजार खिरियावां, मदनपुर या बाहर बेचा जाता है. किसानों का मानना है कि भिंडी के लिए यहां की भूमि उपर्युक्त है. हमलोग मुख्य रूप से इस खेती से अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं.